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अभिव्यक्ति को उच्च कोटि का बनाती है संस्कृत भाषा

जागरण संवाददाता, रुड़की: दिव्य-भारत एवं संस्कृत-भारती की ओर से संयुक्त रूप से एसएसडीपीसी गल्स

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:23 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 09:23 PM (IST)
अभिव्यक्ति को उच्च कोटि  का बनाती है संस्कृत भाषा
अभिव्यक्ति को उच्च कोटि का बनाती है संस्कृत भाषा

जागरण संवाददाता, रुड़की: दिव्य-भारत एवं संस्कृत-भारती की ओर से संयुक्त रूप से एसएसडीपीसी ग‌र्ल्स पीजी कॉलेज में मंगलवार को 15 दिवसीय सरल संस्कृत संभाषण शिविर का शुभारंभ किया गया। इसमें वक्ताओं ने संस्कृत भाषा के महत्व के बारे में जानकारी दी।

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इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अर्चना मिश्रा ने शिविर के उद्देश्य एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना पड़ रहा है, जबकि समस्त विश्व संस्कृत की महत्ता एवं वैज्ञानिकता को स्वीकार कर चुका है। डॉ. भारती शर्मा ने कहा कि संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। विश्व की समस्त लिपियों के मूल आधार में संस्कृत भाषा है। संस्कार भारती से आए मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। संस्कृत वह भाषा है जो अभिव्यक्ति को अत्यंत उच्च कोटि का बनाती है और ज्ञान के नए द्वार खोलती है। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत साहित्य विभाग से शोध छात्रा करुणा गुप्ता ने प्रथम दिन पु¨ल्लग, स्त्री ¨लग आदि में आने वाली वस्तुओं का परिचय अभिनय के माध्यम से पढ़ाया। शिविर का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इस मौके पर दिव्य-भारत एवं संस्कृत-भारती के संपर्क प्रमुख नवल किशोर पंत, डॉ. शिखा शर्मा, डॉ. अनुपमा गर्ग, डॉ. किरन बाला, अंजलि प्रसाद, डॉ. अर्चना चौहान, डॉ. सीमा राय, डॉ. अंजु शर्मा और छात्राओं में मौनी, रूबी, अनिता, प्रियंका, आरती, पूजा, फरिजा, गुलिस्ता, पूनम, शिवानी, ¨रकल, वैशाली, साक्षी, करिश्मा रावत, पूजा व्यास, गुलनाज, शबनम, अलशबा, प्रवीन, ईकरा, काफिया, अर्शी आदि उपस्थित रहे।


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