बिना लाइसेंस बना दिया सैनिटाइजर, आबकारी विभाग ने कंपनी में की छापेमारी
हरिद्वार जिले के सिडकुल की वीएलसीसी कंपनी में बिना लाइसेंस के सैनिटाइजर बनाने का मामला सामने आया है।
हरिद्वार, जेएनएन। सिडकुल की वीएलसीसी कंपनी में बिना लाइसेंस के सैनिटाइजर बनाने का मामला सामने आया है। कंपनी ने सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस बाद में लिया, जबकि बनाने और बेचने का काम महीनों से जारी है। आबकारी विभाग की शुरूआती पड़ताल में सामने आया है कि कंपनी ने बिना लाइसेंस लाखों लीटर सैनिटाइजर पूरे देश में बेच डाला। विभाग अब लाइसेंस निरस्त करने के साथ-साथ कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में जुट गया है।
दरअसल, सिडकुल स्थित श्रृंगार उत्पाद बनाने वाली वीएलसीसी कंपनी को बीते आठ जून को सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस मिला था। सोमवार को आबकारी विभाग को सूचना मिली कि लाइसेंस जारी होने से पहले ही कंपनी सैनिटाइजर बना रही है। जिस पर डिप्टी डायरेक्टर प्रदीप कुमार, जिला आबकारी अधिकारी पवन कुमार सिंह, शिवेंद्र सिंह की अगुवाई में टीम ने कंपनी में छापा मारा। सोमवार देर शाम से लेकर मंगलवार तड़के तीन बजे तक चली छापेमारी के दौरान सामने आया कि कंपनी कोरोना संक्रमण काल के दौरान अप्रैल से सैनिटाइजर बना रही थी। यह भी पता चला है कि अभी तक करीब सात लाख लीटर सैनिटाइजर बनाया जा चुका है।
कंपनी में फिलहाल करीब एक लाख लीटर सैनिटाइजर मिला है। विभाग ने इस सैनिटाइजर को कब्जे में ले लिया है। कंपनी से मिले दस्तावेजों और पूछताछ से पता चला है कि करीब छह लाख लीटर सैनिटाइजर देश भर के विभिन्न हिस्सों में बेचा जा चुका है। जिला आबकारी अधिकारी पवन कुमार सिंह ने बताया कि कंपनी को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें कंपनी से यह कहा गया है कि देश भर में भेजे गए सैनिटाइजर को तत्काल वापस मंगाया जाए। उन्होंने बताया कि आठ जून को जारी हुआ लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट कमिश्नर आबकारी विभाग को भेजी जा रही है। वहीं, कंपनी के प्लांट हेड अशोक राजपूत का कहना है कि सैनिटाइजर बनाने में जिस प्रकार के एल्कोहल का इस्तेमाल किया गया है, उसके लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
छह लाख सैनिटाइजर बाजार में उतार किए करोड़ों के वारे न्यारे
वीएलसीसी कंपनी ने कोरोना संक्रमण काल में मौके का चौका लगाने में देर नहीं की। मार्च के आधे महीने के बाद पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू हो गए थे। कोरोना संक्रमण से बचने को 22 मार्च को पहले जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन लागू हो गया। इसके साथ ही सैनिटाइजर, मास्क आदि की बिक्री में अचानक उछाल आया। कंपनी ने अप्रैल माह में सैनिटाइजर बनाकर बेचना शुरू कर दिया। कंपनी ने जहां छह लाख लीटर सैनिटाइजर बाजार में उतारकर करोड़ों के वारे न्यारे किए।
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वहीं, जीएसटी की चोरी से लेकर आमजन की सुरक्षा के संग भी बड़ा खिलवाड़ किया है। बिना लाइसेंस उत्पादन किन मानकों पर हुआ, इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सैनिटाइजर की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। बड़ा सवाल यह है कि जब लाइसेंस ही नहीं था तो सैनिटाइजर बनाकर देश भर में कैसे भेज दिया गया। जो सैनिटाइजर देश भर में सप्लाई हो चुका है, वह वापस आना भी इतना आसान नहीं है। इधर, आबकारी विभाग ने भले ही छापेमारी कर दी है, लेकिन मुकदमा दर्ज कराने से अभी भी परहेज किया जा रहा है। वहीं जिला आबकारी अधिकारी पवन कुमार सिंह ने बताया कि उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है। उसके बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
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