पूíणमा श्राद्ध के साथ ही 15 दिनों का श्राद्ध पक्ष शुरू
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: सोमवार को पूíणमा श्राद्ध के साथ ही 15 दिन तक चलने वाला श्राद्ध पक्ष शु
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: सोमवार को पूíणमा श्राद्ध के साथ ही 15 दिन तक चलने वाला श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है। पूíणमा श्राद्ध पर लोगों ने अपने दिवंगतों के निमित्त नारायणी शिला, कुशावर्त घाट सहित अन्य स्थानों पर कर्मकांड संपन्न कराए। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा दी।
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिंदू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूíणमा से आश्रि्वन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृपक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं, ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि से ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है। बताया कि पूíणमा श्राद्ध के साथ ही पितृपक्ष शुरू हो गए हैं। अगले पंद्रह दिन तक पितर धरती पर रहेंगे। पूíणमा श्राद्ध पर लोगों ने अपने दिवंगत परिजनों के निमित्त कर्मकांड संपन्न कराने के साथ ही ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा दी।