पेंशन को तरसाने वाले विभाग ने आंख बंद कर भेजे करोड़ों
मेहताब आलम, हरिद्वार: छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग की भूमिका कठघरे में है। स
मेहताब आलम, हरिद्वार: छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग की भूमिका कठघरे में है। सवाल यह है कि विधवा, बुजुर्गो और दिव्यांगों को एक हजार रुपये पेंशन के लिए तरसाने वाले विभाग ने फर्जी छात्र छात्राओं के बैंक खातों में करोड़ों रुपये कैसे भेज दिए। पेंशन के फार्म में मामूली कमी होने पर जरूरतमंदों को चक्कर कटाए जाते हैं, मगर निजी कॉलेज व इंस्टीटयूट को आंख बंद कर ऑनलाइन करोड़ों की रकम जारी की गई। एसआईटी भी यह मान रही है कि इतने बड़े पैमाने पर हेराफेरी बिना मिलीभगत के संभव ही नहीं है।
देहरादून और हरिद्वार के निजी शिक्षण संस्थानों ने पूरी प्लानिंग के तहत छात्रवृत्ति का पैसा हजम किया है। कॉलेजों ने सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं के फोटो जुटाए। मन मुताबिक उनके नाम पते तय करते हुए संस्थानों में अलग-अलग कोर्स में उनके दाखिले दिखाए गए। इतना ही नहीं उनके जाति व आय से जुड़े प्रमाण पत्र भी बनवाए गए। साथ ही साथ बैंकों में उनके अलग-अलग खाते भी खुलवाए गए। जैसे ही समाज कल्याण विभाग की ओर से फर्जी छात्र छात्राओं के खातों में रकम डाली गई, उसके फौरन बाद यह रकम कॉलेज के खातों में ट्रांसफर की गई। इसके लिए खाता धारक के मोबाइल पर ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जरूरी होता है, लिहाजा बहुत से मोबाइल नंबरों का इंतजाम भी किया गया। यह काम एक दो हफ्तों और एक दो लोगों ने नहीं किया। जाहिर है कि फोटो जुटाने से लेकर एडमिशन, प्रमाण पत्र, बैंक खाता और छात्रवृत्ति आवेदन तक में महीनों का समय लगा और संगठित रूप से कई लोगों ने मिलकर इसे अंजाम दिया।
करोड़ों के इस खेल में पाक-साफ बैंक भी नहीं है। बैंक ने खाता खोलते वक्त सत्यापन की जरूरत नहीं समझी। सबसे ज्यादा झोल समाज कल्याण विभाग की भूमिका में है। विभाग एक अदद पेंशन के लिए जरूरतमंदों को चक्कर कटाता है, मगर छात्रवृत्ति जारी करते समय सारे नियम व मानक किनारे रख दिए गए। सूत्र बताते हैं कि एसआईटी बारीकी से पड़ताल करे तो निचले स्तर से लेकर समाज कल्याण विभाग और प्रशासन के बड़े अधिकारी लपेटे में आने तय हैं। जनता दरबार में भटक रहे फरियादी
हरिद्वार : पेंशन लगवाने के लिए विधवा, बुजुर्ग और दिव्यांग जनता दरबार में भटकते दिखाई देते हैं। जिला मुख्यालय पर हर सप्ताह लगने वाले जिलाधिकारी के जनता दरबार में जिले के कोने-कोने से फरियादी पहुंचते हैं। इनमें 50 फीसद से ज्यादा फरियादी पेंशन व आर्थिक मदद के लिए आते हैं। अधिकांश की शिकायत होती है कि तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद समाज कल्याण विभाग पेंशन जारी नहीं कर रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि समाज कल्याण ने निजी कॉलेजों की छात्रवृत्ति में यह रहमदिली क्यों दिखाई। आखिर किस दबाव या लालच में कॉलेजों से हाथ मिलाया गया।