पैथोलाजी लैब का काउंटर बंद करने पर भड़के मरीज, हंगामा
सिविल अस्पताल के पैथोलाजी काउंटर को बंद किए जाने से लाइन में लगे मरीज भड़क गए। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। साथ ही लाइन में लगे मरीजों के ब्लड सैंपल लिए जाने की मांग की। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि निर्धारित समय पर काउंटर बंद किया गया।
संवाद सहयोगी, रुड़की : सिविल अस्पताल के पैथोलाजी काउंटर को बंद किए जाने से लाइन में लगे मरीज भड़क गए। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। साथ ही लाइन में लगे मरीजों के ब्लड सैंपल लिए जाने की मांग की। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि निर्धारित समय पर काउंटर बंद किया गया। मरीज एकत्रित होकर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पास पहुंचे। साथ ही जांच कराए जाने की मांग की। इस पर जरूरी जांच वाले कुछ मरीजों के सैंपल लिए गए।
सिविल अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। प्रतिदिन ओपीडी में नए व पुराने मरीजों का आंकड़ा 400 को पार कर रहा है। शनिवार को भी लगभग इतने ही मरीज उपचार के लिए पहुंचे। मरीजों ने पहले लाइन में लगकर पर्चा बनवाया। इसके बाद लाइन में लगकर ओपीडी में चिकित्सक से उपचार कराया। फिर चिकित्सक की ओर से लिखी गई जांच कराने के लिए पहले फीस काउंटर पर मरीज लाइन में लगे। फिर सैंपल देने के लिए पैथोलाजी लैब के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए। मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते दोपहर एक बजे तक लाइन में खड़े सभी मरीजों का नंबर नहीं आ पाया। एक बजे स्वास्थ्य कर्मियों ने पैथोलाजी लैब का काउंटर बंद कर दिया। जबकि उस समय करीब 20 मरीज लाइन में लगे थे। काउंटर बंद होते ही मरीज भड़क गए। मरीजों को बताया कि वह सुबह से अस्पताल में आए हुए हैं। ढंडेरा निवासी गुलहसन ने बताया कि इलाज शुरू करने से पहले डाक्टर ने जांच कराई है। वह काफी देर से लाइन में लगा है। उसका उपचार कैसे होगा। पनियाली निवासी संदीप ने बताया कि वह सुबह से आया हुआ है। सभी जगह लाइन में लगकर नंबर आया है। यहां खिड़़की बंद कर दी गई है। जबकि लाइन लगी हुई है। साधना ने बताया कि वह पुरकाजी उत्तर प्रदेश से आई हुई है। इसी तरह से अन्य मरीज भी खिड़की बंद होने से परेशान हो गए। इसके बाद कई मरीज एकत्रित होकर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संजय कंसल के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि एक बजे काउंटर बंद करने का समय है। सैंपल लेने के बाद उनकी जांच भी करनी होती है। स्टाफ कम है। हालांकि उन्होंने लैब के स्टाफ को फोन कर गंभीर बीमारी वाले मरीजों के सैंपल लेने के लिए कहा। तब जाकर मामला शांत हुआ। हालांकि कई मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा।