मंत्री-विधायक की नहीं सुनते अधिकारी
दो वर्ष पूर्व अतिवृष्टि से उफनाई रवासन नदी कई किसानों की जमीन बहा ले गई थी। सिचाई मंत्री सतपाल महाराज ने निरीक्षण कर अधिकारियों को बाढ़ राहत के उपाय करने के निर्देश दिए थे।
संवाद सूत्र लालढांग: दो वर्ष पूर्व अतिवृष्टि से उफनाई रवासन नदी कई किसानों की जमीन बहा ले गई थी। सिचाई मंत्री सतपाल महाराज ने निरीक्षण कर अधिकारियों को बाढ़ राहत के उपाय करने के निर्देश दिए थे। साथ ही सिचाई विभाग के अधिकारियों को वन विभाग के साथ समन्वय बनाकर रवासन नदी और गांव की सीमा पर वायर क्रेट लगाने का निर्देश दिया था। अधिकारियों का मनमाना रवैया देखिये, अब तक इन्होंने इसकी सुध तक नहीं ली है।
वर्ष 2017 में पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश के कारण हरिद्वार के लालढांग क्षेत्र की बरसाती नदी रवासन ने जमकर कहर बरपाया था। इससे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया था। स्थानीय विधायक स्वामी यतीश्वरानंद के अनुरोध पर प्रभारी मंत्री और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रवासन नदी का स्थलीय निरीक्षण किया था। उन्होंने सिचाई विभाग के अधिकारियों से नदी में बाढ़ से बचाव करने के उपायों पर काम करने और नदी में जेसीबी लगाकर पानी की धारा गांव की दूसरी तरफ मोड़ने का निर्देश दिया था। दो वर्ष तक मंत्री के आदेशों का पालन नहीं होने के बाद किसानों ने हरिद्वार ग्रामीण विधायक को मामले से अवगत कराया। विधायक ने सिचाई विभाग के अधिकारियों को तत्काल मौके पर वायर क्रेट और अन्य राहत बचाव काम करने के लिए निर्देशित किया था। हैरत यह कि मंत्री और विधायक के आदेशों के बाद भी अब तक वहां पर कोई भी काम नहीं हो पाया है। किसान सुरेशानंद बडोला, दिनेश बडोला, विवेकानंद बडोला और उड्डयन परमार ने कहा कि कई बीघा जमीन नदी में बहने के बाद भी विभाग आंखें मूंदे बैठा है। जल्द ही काम शुरू नहीं किया तो मंत्री से समस्या के निराकरण की अपील की जाएगी। वहीं मामले में सिचाई विभाग के जेई जय सिंह ने बताया कि मीठीबेरी में वायर क्रेट स्पर बनाने का काम चल रहा है। जल्द ही किसानों की भूमि को कटाव से रोकने के लिए वायर क्रेट बनाए जाएंगे। विधायक स्वामी यतीश्वरानंद का कहना है कि छह माह पूर्व भी सिचाई विभाग के अधिकारियों को किसानों की जमीन को नदी के कटाव से रोकने के वायर क्रेट लगाने को निर्देशित किया गया था। क्षेत्र में काम ना होना अधिकारियों की हीलाहवाली को दर्शाता है। जल्द वहां वायर क्रेट लगाए जाएंगे।