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नवरात्रों में जुटी रही श्रद्धालुओं की भीड़

जागरण संवाददाता हरिद्वार। देश के 52 शक्तिपीठों में से एक नील पर्वत पर स्थित है प्रसिद्ध मां चंड

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 05:20 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 05:20 PM (IST)
नवरात्रों में जुटी रही श्रद्धालुओं की भीड़
नवरात्रों में जुटी रही श्रद्धालुओं की भीड़

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। देश के 52 शक्तिपीठों में से एक नील पर्वत पर स्थित है प्रसिद्ध मां चंडी देवी का मंदिर। इस मंदिर में मां खंब रूप में विराजमान है। वैसे तो यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रों के दौरान जो भक्त माता के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करता है, मां उसकी हर मन्नत पूरी करती है। मान्यताओं के अनुसार पतित-पावनी गंगा से सटे नील पर्वत पर स्थित मां चंडी का दरबार आदि काल में जब शुंभ-निशुंभ व महिसासुर ने इस धरती पर प्रलय मचाया हुआ था तब देवताओं ने उनका संहार करने का प्रयास किया। जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ के दरबार में दोनों के संहार के लिए विनती की। इस पर भोलेनाथ और देवताओं के तेज से मां चंडी ने अवतार लिया और चंडी का रूप धर उन दैत्यों को दौड़ाया। शुंभ-निशुंभ जब इस नील पर्वत पर मां चंडी से बच कर छिपे हुए थे तभी माता ने यहां पर खंभ रूप में प्रकट होकर दोनों का वध कर दिया।

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इसके बाद माता ने देवताओं से वर मांगने को कहा। तब स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने मानव जाति के कल्याण को माता को इसी स्थान पर विराजमान रह कर अपने भक्तों के कल्याण का वरदान मांगा। तब से ही माता यहीं पर विराजमान हो कर अपने भक्तों का कल्याण कर रही है। इस मंदिर के महत्व को देखते हुए नवरात्रों में यहां देश के विभिन्न कोनों से भक्तों का मां के दरबार में तांता लगा रहता है। इस पर्वत पर माता चंडी देवी के साथ ही माता अंजनी देवी का मंदिर भी है। नवरात्रों के दौरान धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचने वाला भक्त माता के दरबार में अपना शीश नवाना नहीं भूलता। मान्यता है की जो भी भक्त माता के पसंदीदा भोग नारियल को लेकर माता से सच्चे मन से प्रार्थना करता है तो उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है । यही कारण है कि नवरात्रों के दौरान यहां पर दूर-दूर से आने वाले भक्तों की लंबी कतारें नजर आती हैं और माता उन्हें अपना आशीर्वाद जरूर देती हैं। यहां पर साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।

आदि शक्ति की आराधना से मिलता है सृष्टि को संबल

हरिद्वार। सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि आदि शक्ति की आराधना से सृष्टि को संबल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में शक्ति के सभी नौ स्वरुपों की आराधना व्यक्ति की अ‌र्न्तशक्ति को ऊ‌र्द्धगामी बना देती है। वे आज पतित-पावनी मां गंगा के नीलधारा तट पर स्थित अनादि सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली मन्दिर पर वासंतीय नवरात्र अनुष्ठान में पधारे भक्तों को शक्ति आराधना का महत्व बता रहे थे।


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