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Coronavirus: फेस मास्क और पीपीई किट के लिए बनाया नैनो-कोटिंग सिस्टम, जानिए इसकी खासियत

आइआइटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने फेस मास्क और पीपीई किट के लिए एक नैनो-कोटिंग सिस्टम विकसित किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 03:31 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 09:31 PM (IST)
Coronavirus: फेस मास्क और पीपीई किट के लिए बनाया नैनो-कोटिंग सिस्टम, जानिए इसकी खासियत
Coronavirus: फेस मास्क और पीपीई किट के लिए बनाया नैनो-कोटिंग सिस्टम, जानिए इसकी खासियत

रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के शोधकर्ताओं ने फेस मास्क और पीपीई किट के लिए एक नैनो-कोटिंग सिस्टम विकसित किया है। इसकी खासियत है कि यह कोविड-19 के संक्रमण के खतरे को कम करेगा।

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कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आइआइटी रुड़की ने कई तकनीक विकसित की हैं। अब जैव प्रौद्योगिकी विभाग और नैनो प्रौद्योगिकी केंद्र के प्रो. नवीन के नवानी और उनकी टीम ने फेस मास्क और पीपीई किट के लिए एक नैनो-कोटिंग सिस्टम विकसित किया है। 

शोध का नेतृत्व करने वाले प्रो. नवानी ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए गाउन, ग्लब्स और आइ प्रोटेक्शन की तरह फेस मास्क भी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट का एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है। मौजूदा मास्क में यह नैनो-कोटिंग बैक्टीरिया के खिलाफ एक्सट्रा प्रोटेक्शन की तरह काम करेगा और वायरस के प्रसार को रोकने में कामयाब होगा। उन्होंने बताया कि 10 से 15 मिनट के भीतर रोगजनकों को प्रभावी ढंग से मारने के लिए इस कोटिंग का परीक्षण किया गया है। 

यह फॉर्मयुलेशन स्टैफिलोकोकस ऑरियस और एस्चेरिचिया कोलाई 157 जैसे नैदानिक रोगजनकों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है। यह फॉर्मयुलेशन चिकित्सा कर्मियों को उनके मौजूदा फेस मास्क को कोटिंग करने के लिए फायदेमंद होगा और उनके गाउन पर कोटिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रो. नवानी ने बताया कि फॉर्मयुलेशन में सिल्वर नैनोपार्टिकल्स और प्लांट-बेस्ड एंटीमाइक्रोबियल्स भी हैं जो रोगजनकों के खिलाफ सिनर्जेटिक प्रभाव दिखाते हैं। 

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तीन से अधिक एंटीमाइक्रोबियल्स कंपाउंड्स के संयुक्त प्रभाव का उपयोग करके विकसित इस फॉर्मयुलेशन को किसी भी सतह पर कोटेड किया जा सकता है। चूंकि इस फॉर्मयुलेशन में उपयोग किए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स वायरस को नष्ट करने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए इसमें कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने की भी क्षमता है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को प्रदीप कुमार, डा. अरुण बेनीवाल और अजमल हुसैन समेत चार सदस्यीय टीम ने विकसित किया है।

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