घरेलू कार्यों के लिए महिलाओं को मिले मौद्रिक सम्मान: डॉ. बत्रा
करवाचौथ की पूर्व संध्या पर एसएमजेएन कॉलेज में महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: करवाचौथ की पूर्व संध्या पर एसएमजेएन कॉलेज में महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। ऑफलाइन तथा ऑनलाइन दोनों प्रारूप में आयोजित की गई परिचर्चा में प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमयन्ते तत्र देवता' की परंपरा रही है। स्त्री पूजनीय है। महिला को वह सम्मान अवश्य मिलना चाहिए जिसकी वह अधिकारी है।
आर्थिक स्वायत्तता एवं सम्मान के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी को आर्थिक रूप से सदृढ़ बनाओ, नारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हाउस वाइफ के स्थान पर 'फैमिली मैनेजर' के पदनाम से संबोधित किया जाना चाहिए। डॉ. बत्रा ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में स्त्री धन को दिवालिया घोषित होने पर भी अन्य संपत्तियों में अटैच नहीं किया जा सकता। महिलाओं के सम्मान और स्वतंत्रता के लिए घरेलू रूप से कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए प्रभावशाली प्रयत्न किए जाने चाहिए। यह प्रयास अर्थव्यवस्था एवं पारिवारिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। महिला समानता और महिला सम्मान के लिए परिवारिक सम्मान आर्थिक कोष का निर्माण होना भी आवश्यक है। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. नलिनी जैन ने कहा कि महिला के भावप्रद कार्य एवं सहयोग अमूल्य है। जिनका मूल्याकंन आर्थिक रूप से करना संभव नहीं है। रासेयो संयोजिका डॉ. सुषमा नयाल ने कहा कि महिलाओं के घरेलू अवैतनिक कार्यों का मूल्यांकन सामाजिक आवश्यकता है। इस दौरान डॉ. अमिता श्रीवास्तव, डॉ. पदमावती तनेजा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. प्रज्ञा जोशी आदि उपस्थित रहे।