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Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में मंत्री का नाम लेकर बड़े अधिकारी बनाते थे दबाव

गिरफ्तार अधिकारियों ने एसआइटी की पूछताछ में कई राज उगले। उन्होंने कुबूल किया कि आलाधिकारी मंत्री का नाम लेकर उनपर दबाव बनाते थे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 06:32 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:32 PM (IST)
Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में मंत्री का नाम लेकर बड़े अधिकारी बनाते थे दबाव
Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में मंत्री का नाम लेकर बड़े अधिकारी बनाते थे दबाव

हरिद्वार, मेहताब आलम। छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार अधिकारियों ने एसआइटी की पूछताछ में कई राज उगले। उन्होंने कुबूल किया कि तत्कालीन मंत्री का फरमान जारी होने पर आला अधिकारी उनपर दबाव बनाकर फर्जी छात्रों को प्रमाणित कराते थे। अधिकारियों ने उन दिनों महकमे में मंत्री के जलवों को भी बखूबी बयान किया। उनका कहना था कि मंत्री के हुक्म की नाफरमानी करने की जुर्रत कोई नहीं कर सकता था। 

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छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत पहले दिन से सामने आ रही है। एसआइटी जैसे-जैसे छात्रवृत्ति की पत्रवालियां पलटती गई, वैसे-वैसे विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका से पर्दा उठता चला गया। एसआइटी ने सिर्फ समाज कल्याण विभाग और कॉलेजों के दस्तावेज ही नहीं खंगाले, बल्कि बीच-बीच में छात्रों के पते पर जाकर भौतिक सत्यापन भी किया। एसआइटी ने सुबूत के तौर पर उन छात्रों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लिखित तौर पर यह जानकारी जुटाई कि छात्र कभी उन कॉलेजों में पढ़े ही नहीं। यह दस्तावेज विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की दिशा में ताबूत की कील साबित हुए। 

एसआइटी ने भगवानपुर ब्लॉक के सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोमप्रकाश, लक्सर और खानपुर ब्लॉक में तैनात रहे रिटायर्ड सहायक समाज कल्याण अधिकारी मुनीष त्यागी और विनोद नैथानी को कई बार पूछताछ के लिए रोशनाबाद बुलाया। सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर सवालों के जवाब में उनका कहना था कि तत्कालीन अधिकारी मंत्री का नाम लेकर फर्जी छात्रों को प्रमाणित करने का दबाव उन पर बनाते थे। विभाग में मंत्री के कुछ करीबी अधिकारी नाजायज रौब भी गालिब करते थे। उनकी बात नहीं मानने पर निलंबन तक की धमकी दी जाती थी। इनमें कुछ अधिकारी-कर्मचारी दिवंगत भी चुके हैं। एसआइटी उस दौरान जिले में तैनात रहे अधिकारियों की कुंडली खंगालने में जुटी है। 

टीम में यह रहे शामिल 

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़े मामले की जांच एएसपी सदर आयुष अग्रवाल कर रहे हैं। उनके साथ निरीक्षक कमल कुमार लुण्ठी, उपनिरीक्षक भानू पंवार सिंह, उपनिरीक्षक मदन मोहन भट्ट व उपनिरीक्षक आरएस खोलिया शामिल रहे। सरकारी अधिकारियों पर दर्ज मुकदमे में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अलावा गबन और आपराधिक षड़यंत्र की धाराएं भी लगाई गई हैं। 

विभाग ने हिमाचल की यूनिवर्सिटी पर बरसाई कृपा 

समाज कल्याण विभाग ने निजी शिक्षण संस्थानों पर किस कदर कृपा बरसाई, इसकी पोल एसआइटी की जांच में खुलकर सामने आ रही है। विभाग ने हिमाचल प्रदेश की निजी यूनिवर्सिटी के खातों में भी दो करोड़ से अधिक की रकम डाली। यूनिवर्सिटी ने हरिद्वार के फर्जी छात्र अपने यहां अध्ययनरत दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी। यह काम विभाग की मिलीभगत के बगैर संभव ही नहीं है। एसआइटी बहुत जल्द उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कॉलेजों की कुंडली भी खोलने जा रही है। 

संस्थानों के खातों में भेजी रकम 

छात्रवृत्ति घोटाले में सरकारी रकम हजम करने का पैटर्न हर संस्थान में एक जैसा है। इन संथानों को छात्रवृत्ति देने में भी विभाग ने ठीक वैसे ही लापरवाही बरती। नियमानुसार 10वीं कक्षा से ऊपर के छात्र-छात्रओं को उनके खाते में छात्रवृत्ति दी जानी चाहिए, लेकिन विभाग आंख मूंदकर संस्थानों के खातों में हर साल करोड़ों की रकम डालता रहा। संस्थानों ने अपने खातों को ही छात्र छात्रओं के खाते बताए। इतना ही नहीं बैंक खातों में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी एक जैसे पाए गए हैं। 

छात्रवृत्ति घोटाले में 14 संस्थानों के 16 लोग हो चुके गिरफ्तार 

छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी अभी तक हरिद्वार जिले के 14 संस्थानों के 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी तक की पड़ताल में 100 करोड़ से अधिक का गड़बड़झाला पकड़ में आ चुका है। करीब 125 संस्थान एसआइटी जांच की जद में हैं। जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां होनी तय हैं। 

एसआइटी ने छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में तीन दिसंबर को सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमे में आइपीएस कॉलेज कलियर, फॉनिक्स कॉलेज इमलीखेड़ा, मदरहुड कॉलेज रुड़की, टेकवुड वली कॉलेज मंगलौर, महावीर इंस्टीटयूट रुड़की, आईएमएस इंस्टीटयूट रुड़की, अमृत कॉलेज आफ एजुकेशन, अमृत लॉ कॉलेज, अमृत मेडिकल कॉलेज, आइडीईएएल कॉलेज मंगलौर के कुल 16 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया। इनमें मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन का भाई और रुड़की के पूर्व विधायक सुरेश चंद्र जैन का बेटा भी शामिल रहा। 

एसआइटी ने समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक रहे अनुराग शंखधर को भी गिरफ्तार किया है। एक और संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। बहरहाल एसआइटी ने सोमवार को चार अन्य संस्थानों पर मुकदमा दर्ज कराया है। इन कॉलेजों में कुछ रसूखदार शामिल हैं। वहीं बहादराबाद, रुड़की, भगवानपुर क्षेत्र के कई कॉलेज एसआइटी के रडार पर हैं। एसआइटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने बताया कि जांच में जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, वैसे-वैसे कार्रवाई की जाती रहेगी। 

तीन कॉलेज संचालक पहुंचे हाईकोर्ट 

एसआइटी कई महीने से कॉलेजों की पत्रवलियां जांच रही थी। इस बीच गिरफ्तारी से बचने के लिए तीन कॉलेजों के संचालक पहले ही हाईकोर्ट पहुंच गए। हालांकि अभी तक उनके कॉलेजों का नाम भी एसआईटी ने उजागर नहीं किया है। अलबत्ता हाईकोर्ट से उन्हें गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया है। सोमवार को जिन संस्थानों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, स्वभाविक है कि पुलिस ने जल्द गिरफ्तारियां नहीं की तो उनके संचालक भी हाईकोर्ट की तरफ दौड़ेंगे। 

गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी जल्द

एसआइटी ने समाज कल्याण विभाग के सयुंक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया हुआ है। देहरादून की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद नौटियाल का अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा है। गिरफ्तारी पर रोक संबंधी नौटियाल की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। 

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एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में कनखल, ज्वालापुर, सिडकुल और पिरान कलियर थाने में चार संस्थानों के मालिक और संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। इन मुकदमों की जांच संबंधित थानों की पुलिस एसआईटी के पर्यवेक्षण में करेगी। जांच में फर्जी छात्रों को प्रमाणित करने के आरोप पाए जाने पर एक मौजूदा और दो रिटायर्ड सहायक समाज कल्याण अधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। 

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