Tokyo Olympic: जातिसूचक टिप्पणी से संतों और खेल प्रेमियों में नाराजगी, इंटरनेट मीडिया पर भी वंदना कटारिया को मिल रहा समर्थन
टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल में हार के बाद हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के घर के बाहर आतिशबाजी और उनके स्वजन को जातिसूचक शब्द कहने पर संत समाज खेल प्रेमी और प्रबुद्ध वर्ग में खासी नाराजगी है। इंटरनेट मीडिया पर भी वंदना को बड़ी संख्या में समर्थन मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल में हार के बाद हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के घर के बाहर आतिशबाजी और उनके स्वजन को जातिसूचक शब्द कहने पर संत समाज, खेल प्रेमी और प्रबुद्ध वर्ग में खासी नाराजगी है। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया पर भी वंदना को बड़ी संख्या में समर्थन मिल रहा है। लोग वंदना के खेल और उसकी मेहनत की तारीफ करते हुए उसे देश की बेटी बता रहे हैं। साथ ही, ऐसा करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
श्रीपंचदनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का कहना है कि इस तरह की हरकतें देश के विश्वास और सम्मान को धक्का पहुंचाती हैं, उनका मनोबल तोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतों से खिलाड़ी के प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है। खिलाड़ी किसी जाति, धर्म, पंथ, संप्रदाय और वर्ग विशेष का नहीं होता, वह देश का होता है। वह देश के मान और सम्मान के लिए खेलता है। उन्होंने कहा कि जिसने यह कृत्य किया है, वह माफी योग्य नहीं है।
परमात्मा उन्हें और उनके जैसे अन्य को सद्बुद्धि दे। श्रीपंचायती अखाड़ा श्रीनिरंजनी के आचार्य महामंडेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि यह देश के साथ ही देश की बेटियों का अपमान है। इस मामले में पुलिस को जांच कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने भी घटना की ङ्क्षनदा करते हुए आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
हरिद्वार जिला बाक्सिंग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डा. विशाल गर्ग ने घटना पर नाराजगी जताते हुए आरोपितों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। हरिद्वार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव इंद्रमोहन बड़थ्वाल ने इस मामले में प्रशासन से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा इस तरह की घटनाएं खिलाडिय़ों का मनोबल तोड़ती हैं। खिलाड़ी किसी जाति वर्ग या समाज का नहीं होता वह सिर्फ और सिर्फ देश का होता है। वह देश के मान-सम्मान के लिए खेलता है। खिलाडिय़ों पर व्यक्तिगत या जातिगत टिप्पणी करना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि अपराध है। आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह के तहत मुकदमा होना चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए।