संत की कलम से: समन्वय का पर्व है कुंभ मेला : महामंडलेश्वर स्वामी संतोष आनंद
Haridwar Kumbh 2021 सनातन हिन्दू धर्म में कुंभ मेला समन्वय का पर्व है। जिसमें हिंदू धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों विचारों भाषाभाषियों का एक स्थान पर मिलन होता है। सभी साथ पुण्य की डुबकी लगाते हैं। लोक आस्था का महापर्व कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च महाशिवरात्रि पर होगा।
Haridwar Kumbh 2021 सनातन हिन्दू धर्म में कुंभ मेला समन्वय का पर्व है। जिसमें हिंदू धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों ,विचारों, भाषाभाषियों का एक स्थान पर मिलन होता है। सभी साथ पुण्य की डुबकी लगाते हैं। लोक आस्था का महापर्व कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च महाशिवरात्रि पर होगा। संत महापुरुषों के साथ श्रद्धालु भक्त भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ।
अखाड़ों की ओर से धर्म ध्वजा और पेशवाई की तैयारी चल रही है ।कोरोना साए के बीच भले कुंभ की तैयारियां चल रही है लेकिन संत महात्माओं के आशीर्वाद से कुंभ अपने पारंपरिक स्वरूप में ही होगा। सदियों से चली आ रही परंपरा को टूटने नहीं दिया जाएगा। इस बार 12 वर्षों की वजह 11 वर्ष में कुंभ का विशेष योग पड़ रहा है ।कुंभ की अनोखी विशेषताओं का वर्णन देवताओं ने भी अपनी वाणी में किया है ।क्षीर सागर में समुद्र मंथन से निकले अमृत को देवता और असुरों में संग्राम हुआ ।
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धरती लोक पर जहां- जहां अमृत की बूंदे गिरी वहां देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन होता है। कुंभ में स्नान से पापों का शमन होता है। कुंभ मेले का आयोजन भारत की धाॢमक विविधता में हिन्दू धर्म और दर्शन के समन्वय को परिलक्षित करता है।-महामंडलेश्वर स्वामी संतोष आनंद
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