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राजेन्द्र ¨सह ने किसान आयोग के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

जागरण संवाददाता, रुड़की: वरिष्ठ बसपा नेता चौधरी राजेंद्र सिंह ने उत्तराखंड किसान आयोग के

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 03:00 AM (IST)
राजेन्द्र ¨सह ने किसान आयोग के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
राजेन्द्र ¨सह ने किसान आयोग के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

जागरण संवाददाता, रुड़की: वरिष्ठ बसपा नेता चौधरी राजेंद्र सिंह ने उत्तराखंड किसान आयोग के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस सरकार में उन्हें आयोग का अध्यक्ष पद दिया गया था। बताया जा रहा है कि उन्होंने यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फेसबुक पर की गई टिप्पणी से आहत होकर उठाया है। साथ ही, उन्होंने पूर्व सीएम पर भी कई आरोप लगाए हैं।

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मंगलवार को जिला पंचायत के डाक बंगले में पत्रकारों से बातचीत में बसपा नेता चौधरी राजेंद्र ¨सह ने कहा कि पिछले दिनों पूर्व सीएम हरीश रावत ने फेसबुक पर उनके बारे में गलत टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम को ऐसा कहना शोभा नहीं देता है। हरिद्वार की जनता ने 2009 से लेकर बाद तक उन्हें जो सम्मान दिया है, उसका दस फीसद भी उन्होंने जनता को वापस नहीं किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड किसान आयोग के अध्यक्ष पद से वह इस्तीफा देते हैं। उन्होंने कहा कि 29 नवंबर 2018 से पहले वह कांग्रेस में थे और पूरी निष्ठा के साथ रहे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने उनकी उपेक्षा की। उनके राजनैतिक कैरियर को प्रभावित करने की कोशिश की। जिस समय भाजपा की तानाशाही सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी और उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रही थी, तब हरीश रावत एक बार भी नहीं बोले। उन्होनें कहा कि हरिद्वार की जनता के हरीश रावत पर बहुत अहसान है, लेकिन पूर्व सीएम ने केवल हरिद्वार की जनता को धोखा देने का काम किया है।

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एक बार भी नहीं हुई बैठक

रुड़की: उत्तराखंड राज्य किसान आयोग का गठन उत्तराखंड सरकार ने दिसंबर 2016 में किया था। 19 दिसंबर को कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष चौधरी राजेंद्र ¨सह को आयोग का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। इसके बाद भाजपा ने उनको पद से हटा दिया। पद से हटने के बाद चौधरी राजेंद्र ¨सह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के आदेश पर उनका पद बहाल हो गया। चौधरी राजेन्द्र ¨सह ने बताया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था होने के बावजूद न तो उसका कोई दफ्तर था और न ही कभी कोई बैठक हुई।


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