कांवड़ यात्रा का असर: 40 फीसद तक गिरा औद्योगिक उत्पादन
हरिद्वार से सात किलोमीटर दूर बहादराबाद के पास ट्रकों की लंबी कतार लग रखी है। इससे उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई है। इस कारण उत्पादन 40 फीसद गिर गया है।
हरिद्वार, [जेएनएन]: हरिद्वार से सात किलोमीटर दूर बहादराबाद के पास खड़ी ट्रकों की लंबी कतार देख यह अहसास हो जाता है कि कांवड़ के उत्साह के बीच उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीरें क्यों हैं। हरिद्वार-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर 20 जुलाई से भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। एक जुलाई तक यह स्थिति बनी रहेगी। केवल रात 11 बजे से सुबह चार बजे के बीच ही भारी वाहन अपने गंतव्य को रवाना हो पाएंगे। ऐसे में उत्तराखंड के सबसे बडा औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल मुश्किल दिनों से गुजर रहा है। इंडिस्ट्रयल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष गजेंद्र रतूड़ी बताते हैं कि इन दिनों उत्पादन में 40 फीसद तक गिरावट दर्ज की जा रही है।
दरअसल, इन दिनों हरिद्वार में कांवड मेला चरम पर है। प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख शिवभक्तों के सैलाब को देखते हुए हाईवे पर भारी वाहनों के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे हरिद्वार के साथ ही रुड़की और भगवानपुर की औद्योगिक इकाइयां को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हरिद्वार में रुड़की, बहादराबाद, सिडकुल में दो हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां है। 12 दिनों तक चलने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान यहां कच्चा माल मंगाने से लेकर तैयार माल भेजना किसी चुनौती से कम नहीं है।
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सिडकुल मैनुफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग कहते हैं 'अनुभवों ने हमें काफी कुछ सिखाया है। नुकसान को कम करने के लिए हम योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं।' वह बताते हैं कि ज्यादातर उद्यमी अपने आर्डर को कांवड़ यात्रा से पहले पूरा करने का प्रयास करते हैं और नए आर्डर यात्रा के बाद के लिए बुक कराए जा रहे हैं। इससे नुकसान को कम करने में काफी मदद मिली है।
गर्ग कहते हैं कि 15 वर्ष से सरकार से बिहारीगढ़-रोशनाबाद मार्ग बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन इसमें सरकारी औपचारिकताएं रोड़ा बनी हुई हैं। अगर यह मार्ग बन जाए तो समस्या ही समाप्त हो जाएगी।
इंडिस्ट्रयल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष गजेंद्र रतूड़ी कहते हैं ट्रक बीच रास्ते में फंसे हैं। दिल्ली व पंजाब से कच्चा माल आने में परेशानी हो रही है। ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ने से लागत बढ़ना स्वाभाविक है। इन हालात में उत्पादन तो प्रभावित होगा ही।
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रुड़की के औद्योगिक क्षेत्र में करीब सात हजार श्रमिक छुट्टी पर
कांवड़ियो का सैलाब सड़कों पर उतरा तो औद्योगिकी इकाइयों के सात हजार से ज्यादा श्रमिकों को 10 दिन छुट्टियों पर भेज दिया गया। रुड़की के पास स्थित भगवानपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल कुमार बताते हैं कि भगवानपुर क्षेत्र में स्थित उद्योगों में करीब 40 हजार श्रमिक कार्यरत हैं। इनमें से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। कांवड़ के कारण लगे जाम में फंसे होने के कारण उनके लिए समय पर फैक्ट्री आना मुश्किल हो जाता है।
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भगवानपुर स्थित सीमेंट फैक्ट्री अंबुजा के एचआर प्रबंधक धर्मेश शर्मा ने बताया कि फैक्ट्री में प्रतिदिन चार हजार टन माल तैयार किया जाता है। कच्चा माल राजस्थान से मंगाया जाता है, लेकिन इन दिनों राजस्थान से गाडिय़ां नहीं आ पा रही हैं। इसीलिए फिलहाल 31 जुलाई तक के लिए प्लांट बंद कर दिया गया है। इस समय का सदुपयोग मशीनों की साफ सफाई में किया जा रहा है। पंखे बनाने वाली वंडर फ्रेब्रोमैट्स भी ऐसी ही समस्या से जूझ रही है। कंपनी के प्लांट हेड वीर सिंह बताते हैं कि उत्पादन आधा रह गया है। जो माल तैयार है वह फैक्ट्री में ही पड़ा है, जबकि कई बड़े आर्डर लंबित पड़े हैं।
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