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बुजुर्गों के प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाएं चुनौती

जागरण संवाददाता रुड़की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के मानविकी एवं सामाजिक

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 05:43 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 05:43 PM (IST)
बुजुर्गों के प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाएं चुनौती
बुजुर्गों के प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाएं चुनौती

जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग की ओर से 'बुजुर्गों के साथ हो रहे दु‌र्व्यवहार और उनके प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाएं: चुनौतियां और निवारक उपाय' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें विषयगत ज्ञान को विशेषज्ञों ने एक-दूसरे के साथ साझा किया। साथ ही, बुजुर्गों के प्रति बढ़ रही ¨हसात्मक प्रवृत्ति को एक सामाजिक कुरीति के रूप में देखते हुए इसे दूर करने के उपायों के बारे में मंथन किया गया।

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गुरुवार को मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग में दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने बुजुर्गों के प्रति बढ़ती ¨हसात्मक घटनाओं पर ¨चता जताई। उन्होंने कहा कि आए दिन बुजुर्गों के साथ हो रहे दु‌र्व्यवहार और उनके प्रति बढ़ रही आपराधिक घटनाएं समाज और राष्ट्र के लिए व्यापक चुनौती बनी हुई हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए हम सभी को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. संजीव कुमार पटजोशी ने कहा कि हमें उन तमाम ¨बदुओं पर सोचना होगा। इससे वृद्धों के प्रति बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों में कमी लाई जा सके और उनके सम्मान की रक्षा हो सके। मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नागेंद्र कुमार ने कहा कि बुजुर्गों का सम्मान एवं उनकी सुरक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है। बुजुर्गों के प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा और अनुसंधान जगत से जुड़े विशिष्ट लोगों के विचारों और ज्ञान का आदान-प्रदान होना भी जरूरी है। कार्यशाला के संयोजक डा. एजे मिश्रा ने कहा कि बुजुर्गों के साथ हो रहे दु‌र्व्यवहार और उनके प्रति बढ़ती आपराधिक घटनाएं वर्तमान में देश में अपराध-विज्ञान और सामाजिक शोध के क्षेत्र में एक नए विषय के रूप में उभर कर सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय में शोधात्मक और वैज्ञानिक विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए बहु आयामी दृष्टिकोण के साथ मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इसके लिए अनुसंधान के सामान्य क्षेत्रों की पहचान करनी होगी और बुद्धिजीवियों, शोधकर्ताओं, शिक्षा जगत व अपराध विज्ञान से जुड़े सिविल सोसाइटी संगठनों को एक मंच पर आकर अपने विचार साझा करने होंगे। साथ ही, समस्या के संभावित हल ढूंढने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का आयोजन सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान के सहयोग से किया गया। कार्यशाला में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के फैकल्टी, छात्रों और अन्य संस्थानों से 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। दो दिनों में छह तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जाएगा।


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