अस्पताल में लगी खांसी, बुखार के मरीजों की भीड़
संवाद सहयोगी, रुड़की: निजी चिकित्सकों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में तीसरे दि
संवाद सहयोगी, रुड़की: निजी चिकित्सकों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में तीसरे दिन रविवार को भी नर्सिगहोम बंद रखें। वहीं, सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मरीजों की भीड़ लगी रही। दुर्घटना और मारपीट में घायल मरीजों के अलावा मामूली बीमारियों से पीड़ित लोग भी ट्रामा सेंटर में उपचार को पहुंचे। खांसी, बुखार, सिर दर्द, पेट दर्द जैसी बीमारियों से पीड़ित अनेक मरीजों ने ट्रामा सेंटर में बैठे चिकित्सकों से उपचार कराया।
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी चिकित्सक तीन दिन से आंदोलन पर हैं। उन्होंने इस एक्ट के विरोध में अपने नर्सिंगहोम स्वयं बंद किए हुए हैं। आइएमए के सचिव डॉ. संजय गर्ग एवं कोषाध्यक्ष डॉ. अशंक ऐरन ने बताया कि एक्ट में इतनी शर्तें हैं, जिन्हें पूरा कर पाना निजी चिकित्सकों के लिए संभव नहीं है। एक्ट की शर्ते पूरी न करने वाले नर्सिंगहोम को सरकार सील करा देगी। इस बात को देखते हुए उन्होंने अपने नर्सिंगहोम स्वयं ही बंद कर लिए हैं। जब तक इस एक्ट में कोई सुधार नहीं हो जाता है तब उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। उधर, निजी चिकित्सकों के नर्सिंगहोम के बाहर स्वत: बंदी का नोटिस लगा देख मरीज निराश होकर वापस लौट गए। जबकि कई मरीजों ने सिविल अस्पताल रुड़की के ट्रामा सेंटर में पहुंच उपचार कराया। ट्रामा सेंटर में वैसे तो केवल गंभीर या फिर घायल मरीज ही उपचार को आते हैं, लेकिन हड़ताल के कारण बुखार, खांसी, जुकाम, सिर दर्द जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीज भी उपचार को पहुंचे। ट्रामा सेंटर में ड्यूटी पर तैनात डॉ. नितिश कुमार ने बताया कि रविवार को सामान्य बीमारी से पीड़ित अनेक मरीज भी उपचार को पहुंचे।