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Haridwar Kumbh 2021: अंतिम शाही स्नान में संतों ने मास्क पहनकर लगाई गंगा में डुबकी, अखाड़ों ने प्रतीकात्मक तौर पर लिया भाग

हरिद्वार कुंभ के अंतिम शाही स्नान चैत्र पूर्णिमा के प्रतीकात्मक स्नान के लिए हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर निरंजनी अखाड़ा के संत महात्माओं ने स्‍नान किया। अखाड़े के सचिव और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री रविंद्र पुरी के नेतृत्व में संत शाही स्नान के लिए पहुंचे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 07:49 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 11:34 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: अंतिम शाही स्नान में संतों ने मास्क पहनकर लगाई गंगा में डुबकी, अखाड़ों ने प्रतीकात्मक तौर पर लिया भाग
चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार को होने वाले कुंभ के अंतिम शाही स्नान की तैयारी पूरी कर ली गई है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021  चैत्र पूर्णिमा पर कुंभ के अंतिम शाही स्नान में संतों ने कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए हरकी पैड़ी पर ब्रह्मकुंड में गंगा स्नान किया। संतों ने न केवल शारीरिक दूरी के मानकों का ध्यान रखा, बल्कि स्नान भी मास्क पहनकर किया। इतना ही नहीं शाही जुलूस में भी संख्या सीमित रही और वाहनों की संख्या भी कम नजर आई। भीड़ भले ही कम रही हो, लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं थी। 'हर-हर महादेव' और 'जय श्रीराम' के जयघोष के साथ सुबह 10 बजे शुरू हुआ स्नान शाम 3.30 बजे तक चला। शाही स्नान शुरू होने से पहले आम श्रद्धालुओं ने भी ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाई। हालांकि इनकी संख्या भी काफी कम थी। मेला अधिष्ठान के अनुसार शाम छह बजे तक 30 हजार से अधिक श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा चुके थे। इसी के साथ एक अप्रैल से शुरू हुए कुंभ मेले का 30 अप्रैल को औपचारिक तौर पर समापन हो जाएगा। 

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छह संन्यासी अखाड़ों की कुंभ के समापन की घोषणा के बाद बैरागी अखाड़ों की नाराजगी को देखते हुए मेला अधिष्ठान के लिए अंतिम शाही स्नान चुनौती बना हुआ था। पिछले दिनों इसे लेकर मेला अधिष्ठान के अधिकारियों ने अखाड़ों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान सभी अखाड़ों ने मेला अधिष्ठान को सहयोग देने पर सहमति जताई और भरोसा दिया कि शाही स्नान में प्रत्येक अखाड़े से अधिकतम 100 संत ही भाग लेंगे। इस बार भी अखाड़ों के स्नान का क्रम वहीं रहा जो पिछले दो शाही स्नान में था। क्रम का निर्धारण अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही कर चुकी थी। 

क्रम के अनुसार सबसे पहले श्री निरंजनी अखाड़ा के साथ आनंद अखाड़े ने स्नान किया।  इसके बाद जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े के संतों ने गंगा में डुबकी लगाई। तीसरे क्रम पर महानिर्वाणी अखाड़ा ने अटल अखाड़े के साथ स्नान किया। इसके बाद क्रम तीनों बैरागी अखाड़ों का था और इसके बाद दोनों उदासीन अखाड़े और सबसे अंत में निर्मल अखाड़े ने संतों ने स्नान किया। इसी के साथ शाही स्नान निर्धारित अवधि से तीन घंटे पहले संपन्न हो गया। इससे पहले मेलाधिकारी दीपक रावत और पुलिस महानिरीक्षक (मेला) संजय गुंज्याल ने शाही जुलूस पर पुष्प वर्षा की। इसके अलावा अपर मेलाधिाकरी हरवीर सिंह एवं रामजीशरण शर्मा के नेतृत्व में मेला अधिष्ठान की टीम ने हरकी पैड़ी पर साधु-संतों को मास्क भी वितरित किए।   

नहीं दिखा लाव-लश्कर 

मेला अधिष्ठान के साथ बनी सहमति का संतों ने पूरी तरह से सम्मान किया। किसी भी अखाड़े के शाही जुलूस में संतों की संख्या सीमित रही। इसके अलावा जुलूस में रथ, हाथी, घोड़े,  बैंड-बाजा और नागा संन्यासी भी नजर नहीं आए। 

सीमा से लौटाए एक हजार वाहन 

शाही स्नान को देखते हुए पुलिस प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम भी सतर्क रही। सीमा पर कोरोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट न दिखाने पर 1171 वाहनों को लौटा दिया गया। सीमा पर 2726 की जांच की गयी। इनमें 18 पाजीटिव मिले। स्वास्थ्य विभाग की कुल 28 टीम इस काम में लगी थी। 

अखाड़ों में ही रहे आचार्य महामंडलेश्वर 

अधिकतर अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर अखाड़ों में ही रहे। कोरोना को मात देने वाले  अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने शाही स्नान में भाग नहीं लिया। 

मेला अधिष्ठान ने जताया संतोष 

अंतिम शाही स्नान के सकुशल समापन पर मेलाधिकारी दीपक रावत और पुलिस महानिरीक्षक (मेला) संजय गुंज्याल ने संतोष जाहिर करते हुए कहा कोरोना संक्रमण के बीच कुंभ का भव्य आयोजन किसी चुनौती से कम नहीं था। कहा कि मां गंगा के आशीर्वाद से सभी शाही स्नान सकुशल संपन्न हुए। उन्होंने इसके लिए व्यवस्था में योगदान देने वाले सभी अधिकारियों कर्मचारियों और संतों का आभार जताया। इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कुंभ) जन्मेजय खण्डूरी और उप मेलाधिकारी दयानंद सरस्वती आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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