Move to Jagran APP

संत की कलम से: सनातन धर्म-संस्कृति की अद्भुत व अलौकिक पहचान है कुंभ- श्रीमंहत राजेंद्रदास

Haridwar Kumbh 2021 धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ का आयोजन पौराणिक विश्वास और ज्योतिषी गणना के लिहाज से बृहस्पति के कुंभ और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के कारण होता है। ग्रहों की यह असाधारण स्थिति और दैवीय संयोग पतित पावनी गंगाजल को औषधिकृत कर देता है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 11:09 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 11:09 AM (IST)
संत की कलम से: सनातन धर्म-संस्कृति की अद्भुत व अलौकिक पहचान है कुंभ- श्रीमंहत राजेंद्रदास
श्रीमहंत राजेंद्रदास जी महाराज, अध्यक्ष, श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़ा।

Haridwar Kumbh 2021 धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ का आयोजन पौराणिक विश्वास और ज्योतिषी गणना के लिहाज से बृहस्पति के कुंभ और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के कारण होता है। ग्रहों की यह असाधारण स्थिति और दैवीय संयोग पतित  पावनी गंगाजल को इस कदर औषधिकृत कर देता है कि वह कुंभ पर्व के समय अमृतमय हो जाता है। यह संयोग इस दौरान गंगा में स्नान करने वाली करोड़ों जीवात्माओं का उद्धार कर धरती पर सनातन धर्म की स्थापना और रक्षा करता है। 

loksabha election banner

कुंभ भारतीय संस्कृति की अद्भुत और अलौकिक पहचान है। संत परंपरा कुंभ मेले की अलौकिक धरोहर है और यह विश्व में भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म को अनोखे रूप में पेश है। देश भर से संत गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। यह सभी सनातन संस्कृति की वाहक हैं, जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन और सनातन धर्म का सबसे बड़े पर्व कुंभ में आस्था का प्रतीक बनते हैं। इससे धर्म और समाज को धार्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। उनमें सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होता है। यही समाज में, श्रद्धालुओं में धर्म और आस्था का निर्माण  करती है। 

कुंभ भले ही 12 वर्षों में आता हो, लेकिन यह 12 वर्ष के कालखंड में हर तीन वर्ष में आयोजित होता है। इस दौरान प्रयागराज और हरिद्वार में अर्धकुंभ का आयोजन भी होता है। विशेष ज्योतिषी गणना में आयोजित होने वाला यह देवी आयोजन समस्त देवी-देवताओं की मौजूदगी में होता है। इसलिए इसका विशेष महत्व और प्रभाव है। इसमें जो भी भाग लेता है, उसके समस्त कष्ट  समाप्त हो जाते हैं और पाप का नाश हो जाता है।

[श्रीमहंत राजेंद्रदास जी महाराज, अध्यक्ष, श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़ा]

यह भी पढ़ें- संत की कलम से: भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है कुंभ- पंडित सुनील मिश्रा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.