गाय, गंगा, गायत्री और गीता के संरक्षण को सरकार संकल्पित: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गाय, गंगा, गायत्री और गीता भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपरा की प्रतीक है। राज्य सरकार इनके संरक्षण और रक्षा के लिए कृतसंकल्प है।
By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 08:12 PM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 09:23 PM (IST)
हरिद्वार, [जेएनएन]: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गाय, गंगा, गायत्री और गीता भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपरा की प्रतीक है। राज्य सरकार इनके संरक्षण और रक्षा के लिए कृतसंकल्प है।
मुख्यमंत्री ने पथरी क्षेत्र के कटारपुर में आयोजित 94वें गौरक्षा बलिदान दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि गोरक्षा और गोवंश तस्करी रोकने को सरकार ने अलग पुलिस टास्क फोर्स बनाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कटारपुर ऐतिहासिक स्थल है, जहां हिंदुओं ने गोमाता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उन्होंने कहा कि अनुपयोगी मानकर छोड़ी गई और बूढ़ी गायों के संवर्धन को केंद्र और राज्य सरकार गंभीर हैं। सरकार ने पशु आहार का मूल्य 270 रुपये प्रति कुंतल कम कर दिए हैं। आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने कहा कि गाय हिन्दू धर्म का आधार है, प्रतीक है, इसमें लक्ष्मी का वास है। वैज्ञानिक शोधभी मानते हैं कि देशी गाय के गोबर व गोमूत्र अर्क के सेवन से अवसाद और माइग्रेन से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। इसी तरह गाय के गोबर से बनी औषधि से त्वचा संबंधी रोग नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस और राज्य सरकार की भी सराहना की। कार्यक्रम को विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री दिनेश ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने 1918 में शहीद हुए 75 गोरक्षकों के परिजनों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया।
ऋषिकेश में बनेगा सीमन केंद्र
हरिद्वार। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार देशी गायों की नस्ल में सुधार और उनकी संख्या में इजाफे को ऋषिकेश में सेक्स सीमन केंद्र की स्थापना करने जा रही है।
हरीश रावत को शायद समझ आ गई
हरिद्वार। पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मंदिरों में जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले तो वे कहीं और जाते थे, लेकिन अब शायद उन्हें ईश्वरीय समझ आ गई है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कांग्रेस ओछी राजनीति करती है। उसे सिर्फ राजनीति ने मतलब है। मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे से कोई लेना-देना नहीं। उसने तो इन्हें भी राजनीति का हथियार बना लिया है।
1918 में हुई थी गोरक्षकों की हत्या
18 सितंबर 1918 में कटारपुर में गोरक्षा को हिंदू-मुस्लिमों में हुए संघर्ष के बाद ब्रिटिश सरकार की दमनात्मक कार्रवाई में 4 गोरक्षकों को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। जबकि 75 गोरक्षकों को कालेपानी की सजा दे दी गई थी। उनकी भी जेल में रहने के दौरान ही मृत्यु हो गई थी। कटारपुर में हर वर्ष इनकी याद में में श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।
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