एंटी रेबीज न होने से बढ़ी लोगों की परेशानी
संवाद सहयोगी, नारसन: नारसन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले छह माह में करीब साढ़े छ
संवाद सहयोगी, नारसन: नारसन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले छह माह में करीब साढ़े छह सौ लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाने पहुंचे, लेकिन अस्तपाल में इंजेक्शन न होने के कारण उन्हें रुड़की या फिर प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से भी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इन दिनों नारसन क्षेत्र में आवारा कुत्तों और बंदरों का जबरदस्त आतंक है। मोहम्मदपुर जट, नारसन कला, नारसन खुर्द, टिकौला समेत दो दर्जन गांव में आवारा कुत्ते और बंदर रोजाना किसी ने किसी को अपना शिकार बना रहे हैं। जब लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाने के लिए नारसन स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीका लगाने जाते हैं तो वहां इंजेक्शन न होने की बात कही जाती है। स्थिति यह है कि नारसन अस्पताल में छह माह से एंटी रेबीज के इंजेक्शन नहीं पहुंचे हैं। जबकि इस सीएचसी से 30 हजार से अधिक की आबादी जुड़ी है। लोगों को इंजेक्शन लगाने के लिए रुड़की स्थित सिविल अस्पताल का रुख करना पड़ता है, लेकिन यहां पर भी कई बार वैक्सीन नहीं मिल पाती है। ग्रामीण राममूíत चौधरी, राजकुमार, देवेंद्र जो¨गदर का कहना है कि प्राइवेट में यह वैक्सीन काफी महंगी है। इस संबंध में कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी बताया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार वैक्सीन अस्पताल में होने के बावजूद आम आदमी को वापस भेज दिया जाता है। इस संबंध में अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. एके सिन्हा ने बताया कि जिला स्तर से ही उनको वैक्सीन मिलती है। इस संबंध में डिमांड भेजी गई है। जल्द वैक्सीन मिलने की उम्मीद है।