Coronavirus: हरिद्वार में चालू किया जाएगा विद्युत शवदाह गृह, 25 वर्षों से है बंद
कोरोना संक्रमितों की मौत के मद्देनजर हरिद्वार जिला प्रशासन ने खड़खड़ी शमशान घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह को चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए शासन को तीस लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा।
हरिद्वार, जेएनएन। कोरोना संक्रमित और संदिग्ध दोनों तरह के मरीजों की मृत्यु होने पर उनके अंतिम संस्कार खासकर सनातन हिंदू धर्म के अनुसार किए जाने वाले दाह संस्कार को लेकर शमशान घाट और स्थानीय लोगों में कई तरह की भ्रांतियां होने से पीड़ितों के परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मंगलवार को भी रुड़की निवासी परिवार को हरिद्वार स्थित सभी शमशान घाट पर इसी स्थिति का सामना करना पड़ा था, स्थानीय लोगों ने उन्हें खुले में परंपरागत तरीके से अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। उनके साथ मारपीट की कोशिश की गई और जबरन शमशान घाट से भगा दिया गया था।
अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने खड़खड़ी शमशान घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह को चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए शासन को तीस लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। दैनिक जागरण ने घटना वाले दिन पिछले करीब 25 वर्षों से बंद पड़े इस विद्युत शवदाह गृह के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और दो ही दिन में उसे चालू कराने की कवायद शुरू हो गई।
मंगलवार को घटी घटना में सामने आया था कि रुड़की से उक्त कोरोना संदिग्ध के शव को उसके परिजनों सहित हरिद्वार इसलिए भेजा गया था कि यहां स्थित विद्युत शवदाह गृह में उसका अंतिम संस्कार हो जाएगा। पर, उसके बंद होने के कारण जब परंपरागत तरीके से खुले में उसका शवदाह संस्कार किए जाने की तैयारी हुई तो स्थानीय लोगों और घाट कर्मियों ने उसका विरोध शुरू कर दिया। खड़खड़ी से उन्हें डरा-धमका कर कनखल शमशान घाट के लिए भगा दिया गया। कनखल में भी अंतिम संस्कार के लिए उन्हें मना कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने रुड़की लौट कर अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।
स्थापना के बाद से ही पड़ा है बंद
वर्ष 1993-94 में हरिद्वार में स्थापित यह विद्युत शवदाह गृह अपनी स्थापना के करीब एक वर्ष बाद से ही बंद पड़ा है। बीच-बीच में इसे चालू करने की कई कोशिश की गई पर वह सभी असफल साबित हुई। इस बात को नगर आयुक्त नरेंद्र भंडारी भी स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि विद्युत शवदाह गृह देखरेख और मरम्मत के अभाव में बंद पड़ा है, इसे ठीक कराने में काफी खर्च आएगा। इसे चलाने के लिए निगम बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा, बोर्ड से अनुमोदन के बाद ही इसे चलाने को लेकर कोई निर्णय लिया जा सकेगा।
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अब इस मामले में जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए इसे जल्द से जल्द चालू कराने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा स्थिति में इसे चालू कराने के लिए करीब तीस लाख का खर्च आएगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, वहां से अनुमोदन मिलते ही काम चालू करा दिया जाएगा।
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