दून के कैंब्रिज विद्यालय पर लगा एक लाख का जुर्माना, जानिए पूरा मामला
दून कैंब्रिज विद्यालय पर बिना सरकारी अनुमति के कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं को संचालित करने को लेकर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
By Edited By: Published: Wed, 06 May 2020 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 02:18 PM (IST)
हरिद्वार, जेएनएन। बिना सरकारी अनुमति के कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं को संचालित करने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने दून कैंब्रिज विद्यालय पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही, मामले में संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मामले का पता विद्यालय प्रबंधन का अभिभावकों पर निश्चित बुक सेलर से महंगे दामों पर बेची जा रही कॉपी-किताबें खरीदे जाने और फीस जमा करने का दबाव बनाने की शिकायत की जांच में हुआ।
मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज ने बताया कि जांच में खुलासा होने के बाद बुकसेलर के प्रतिष्ठान को सीज करने की कार्रवाई की जा रही है। मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज ने दोपहर करीब तीन बजे मायापुर स्थित खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हुई पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। डॉ. भारद्वाज ने बताया कि उन्हें पिछले काफी समय से उच्च न्यायालय और सरकारी आदेशों के विपरीत स्कूली प्रबंधकों के अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाने, उनसे ट्यूशन फीस से इतर मदों में फीस जमा करने का दबाव बनाने, महंगे दामों पर निजी प्रकाशकों की किताबों को निश्चित बुकसेलर से खरीदे जाने को कहने की शिकायतें मिल रही थीं। वह अपने स्तर पर इस शिकायतों की पुष्टि को गोपनीय जांच करा रहे थे।
बुधवार सुबह उन्हें दून कैंब्रिज स्कूल और भार्गव बुक सेलर के खिलाफ इस तरह की शिकायत मिलीं। गोपनीय जांच में तथ्यों की पुष्टि होने के बाद उप शिक्षा अधिकारी दीप्ती यादव को संबंधित के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के लिए सबूत जुटाने के आदेश दिए गए। उन्होंने एक व्यक्ति को ग्राहक बनाकर बुकसेलर के यहां भेजा और खुद सारे मामले पर निगाह बनाए रखी। किताब-कापी की खरीद और दी गई रसीद के आधार पर न सिर्फ आरोपों की पुष्टि हुई, बल्कि सबूत भी हासिल हो गए। इस आधार पर आगे की कार्रवाई की गई। इस मामले में दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए गए हैं।
पत्रकारवार्ता में उप शिक्षा अधिकारी दीप्ती यादव भी मौजूद थीं। बिना अनुमति संचालित कर रहे थे कक्षाएं सीईओ डॉ. आनंद भारद्वाज ने बताया कि इस प्रकरण की जांच के दौरान यह भी जानकारी में आया कि स्कूल प्रबंधन बिना उनके कार्यालय की मान्यता लिए बगैर ही सीधे आइसीएसई बोर्ड से संबद्धता के आधार पर कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं का संचालन कर रहा था, जबकि आरटीई के तहत ऐसा करना अनिवार्य है। इस पर उन्होंने स्कूल पर एक लाख का जुर्माना लगाया। जुर्माना कोषागार में जमा कराने के बाद रसीद उनके कार्यालय में जमा कराने के आदेश भी दिए। ऐसा न करने पर स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्य पर मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दी।
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