जिला मुख्यालय के अस्पतालों में मात्र एक फिजिशियन
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक की कमी से चिकित्सा सेवाएं
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक की कमी से चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हालत यह है कि जिला मुख्यालय के अस्पताल एकमात्र चिकित्सक के होने से मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। डेंगू के बाद अब स्वाइन फ्लू के कहर से पीड़ित मरीजों का उपचार भी एकमात्र फिजिशियन के भरोसे है।
जिला मुख्यालय हरिद्वार में दो सरकारी अस्पताल है। इनमें हरमिलाप जिला अस्पताल 60 बेड और राजकीय मेला अस्पताल सौ बेड का है। मगर दोनों अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं रामभरोसे हैं। जिला मुख्यालय के अस्पताल में 14 वर्ष तक एक भी फिजिशियन तैनात नहीं थे। बीते वर्ष जून में शासन ने वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संदीप टंडन को जिला अस्पताल में तैनाती दी। जिससे मरीजों को काफी राहत मिली। जबकि दूसरे अस्पताल राजकीय मेला अस्पताल में आज भी फिजिशियन नहीं हैं। ऐसे में जिला मुख्यालय पर एकमात्र फिजिशियन के कंधे पर मरीजों के उपचार का जिम्मा है। डेंगू के बाद अब स्वाइन फ्लू का कहर टूटने पर स्वास्थ्य महकमा जिला अस्पताल में छह बेड का आइसोलेशन वार्ड तो बना देता है। ऊपर से वीआइपी ड्यूटी, कोर्ट केस आदि के चलते या फिर अवकाश पर उनके रहने से मरीजों को निराशा होती है। इन दिनों स्वाइन फ्लू की दस्तक ने महकमें के माथे पर बल डाल दिया है। इसके उपचार का दावा तो किया जा रहा है मगर अतिरिक्त डॉक्टर के न रहने से स्थिति राम भरोसे वाली ही है। जिला अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. राजकुमार का कहना है जो संसाधन है। उससे मरीजों को उपचार की सुविधा दी जा रही है। स्वाइन फ्लू के मरीजों के आने पर भी उन्हें जांच और उपचार की सुविधा मिलेगी। अस्पताल में एक अन्य चिकित्साधिकारी हैं जो सामान्य स्थिति के मरीजों को परामर्श देते हैं। सीएमओ डॉ. प्रेमलाल का कहना है शासन स्तर से कुछ डाक्टरों के भेजे जाने की संभावना है। सूची जारी होने के बाद उन्हें जरूरत के हिसाब से पदस्थापित करेंगे। एकमात्र फिजिशियन का भी ठिकाना नहीं
जिला अस्पताल के एकमात्र फिजिशियन डॉ. संदीप टंडन उप्र कैडर के चिकित्सक हैं। शासन की ओर से उप्र कैडर के जिन 25 चिकित्सकों को रिलीव करने का आदेश एक महीने पहले जारी किया गया है उसमें उनका भी नाम है। ऐसे में वह कितने दिन तक यहां पर मरीजों का उपचार कर पाएंगे तय नहीं है। उनके रिलीव होने पर स्थिति फिर पुराने हाल में पहुंच जाएगी।