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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी एक गुट के अध्यक्ष

हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो गई है। एक गुट ने सात अखाड़ों के समर्थन का दावा करते हुए महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी के नेतृत्व में परिषद की नई कार्यकारिणी घोषित कर दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 08:45 PM (IST)
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी एक गुट के अध्यक्ष
महानिर्वाणी अखाड़े में अखाड़ा परिषद से जुड़े सात अखाड़े प्रतिनिधियों सभी पदों पर चुनाव करने के लिए बैठक करते संतगण।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो गई है। एक गुट ने सात अखाड़ों के समर्थन का दावा करते हुए महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी के नेतृत्व में परिषद की नई कार्यकारिणी घोषित कर दी है। उधर, अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने इस निर्वाचन को अमान्य ठहराते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद का चुनाव 25 अक्टूबर को प्रयागराज में होना तय है। इस दौरान नए अध्यक्ष और महामंत्री का चुनाव किया जाएगा।

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गुरुवार सुबह अचानक बदले घटनाक्रम के बाद कनखल स्थित महानिर्वाणी अखाड़ा परिसर में हुई बैठक में महानिर्वाणी अखाड़े के अलावा तीनों बैरागी अणियों (निर्मोही अणि, निर्वाणी अणि व दिगंबर अणि) और बड़ा अखाड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़े के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी के निर्वाचन की घोषणा की गई। इसमें महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी अध्यक्ष, निर्मोही अणि के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महामंत्री, बड़ा अखाड़ा उदासीन के श्रीमहंत दामोदर दास उपाध्यक्ष, निर्मल अखाड़े के श्रीमहंत जसविंदर सिंह शास्त्री कोषाध्यक्ष, दिगबंर अणि के श्रीमहंत रामकिशोर दास मंत्री व निर्वाणी अणि के श्रीमहंत गौरीशंकर दास प्रवक्ता और श्रीमहंत धर्मदास व श्रीमहंत महेश्वर दास संरक्षक चुने गए।

उधर, अध्यक्ष चुने गए श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्हें अखाड़ा परिषद में शामिल 13 में सात अखाड़ों के समर्थन का दावा किया। कहा कि सातों अखाड़ों की यह बैठक परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (परिषद के उपाध्यक्ष) श्रीमहंत देवेंद्र शास्त्री ने बुलाई थी। उन्हीं की देखरेख में परिषद के सभी पदों पर आम सहमति से निर्वाचन संपन्न हुआ। कहा कि बैठक में संन्यासी, वैष्णव, निर्मल और उदासीन परंपरा के सात अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने दावा किया कि चयनित कार्यकारिणी ही अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी है। इसलिए अब प्रयागराज में प्रस्तावित अखाड़ा परिषद की बैठक का कोई औचित्य नहीं है।

श्रीमहंत रङ्क्षवद्र पुरी ने कहा कि नई कार्यकारिणी सभी अखाड़ों में एकता का प्रयास करेगी और इस मसले पर जल्द हरिद्वार में अखाड़ा परिषद की बड़ी बैठक बुलाई जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अखाड़ा परिषद की बैठक अध्यक्ष के कहने पर महामंत्री बुलाता है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने के बाद परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र शास्त्री यह बैठक बुलाई। इसलिए इसे अवैध और उनकी मौजूदगी में हुए निर्वाचन को गैरकानूनी कहना अनुचित है।

हालांकि, श्रीमहंत रविंद्र पुरी और श्रीमहंत देवेंद्र शास्त्री इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाए कि जब 25 अक्टूबर को प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की बैठक तय है तो आनन-फानन में इस बैठक को बुलाने की जरूरत क्यों हुई। वह इस बात पर भी चुप्पी साध गए कि जब हरिद्वार कुंभ में तीनों बैरागी अणियों ने स्वयं को अखाड़ा परिषद से अलग कर अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद का गठन कर लिया था तो उनके साथ इस तरह के गठबंधन का औचित्य क्या है।

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