भारतीय संस्कृति के वाहक बनें युवा : डॉ. सहस्त्रबुद्धे
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: राज्य सभा सदस्य एवं इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आइसीसी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: राज्य सभा सदस्य एवं इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आइसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि युवा भारतीय संस्कृति के वाहक बनें। इसके लिए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक प्रयोग कर रहा है। देसंविवि विद्यार्थियों को ज्ञान के साथ एक नई ²ष्टि देता है। यह ²ष्टि विश्व की अनेक समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के 34 वें ज्ञानदीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉ. सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह एक तपोभूमि है। गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और कुलाधिपति डॉ. पंड्या के दूरदर्शितापूर्ण ²ष्टिकोण का ही परिणाम है कि युवा उच्च शिक्षा के साथ जीवन जीने की विद्या भी प्राप्त करते हैं। राज्यसभा सांसद डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी में आत्मबोध, प्रयोजन और संबंधों का संकट दिखाई पड़ता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आदि कवियों की कविताओं का उल्लेख करते युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देसंविवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने की। उन्होंने कहा कि आत्मबोध और तत्वबोध की नियमित साधना करने वाला व्यक्ति सदैव सफलता की सीढ़ी चढ़ता है। उन्होंने विद्यार्थियों को आत्मबल और आत्म विश्वास जगाने के सूत्र भी बताए। कुलपति शरद पारधी ने कहा कि गुण, कर्म और स्वभाव में परिवर्तन करने वाले ज्ञान को आप सब धारण करेंगे तो निश्चय ही आप सफल होंगे। इससे पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने ज्ञान दीक्षा समारोह की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। कुलाधिपति ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों और आचार्यों को मिलकर शिक्षण कार्य और व्यक्तित्व विकास के साथ आगे बढ़ने का दीक्षा संकल्प दिलाए। मुख्य अतिथि डॉ. सहस्त्राबुद्धे और कुलाधिपति डॉ. पंड्या ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को देसंविवि का प्रतीक चिह्न प्रदान किए। कार्यक्रम में ई.रेनासा ज्ञानप्रभा, सेलीबेट्री लाइफ विथ योगा का विमोचन भी किया गया। किया। कुलसचिव संदीप कुमार ने बताया कि देसंविवि के 34वें ज्ञानदीक्षा समारोह में छह मासीय पाठ्यक्रम के लिए विभिन्न राज्यों के साथ ही चीन, जर्मनी, रूस और नेपाल से आए नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को ज्ञानदीक्षा के सूत्र से दीक्षित किया गया।