साइबर ठगों ने बुजुर्ग के चार बैंक खातों से उड़ाए पांच लाख रुपये Haridwar News
साइबर ठगों ने बुजुर्ग के चार बैंक खातों से करीब पांच लाख रुपये उड़ा दिए। चारों बैंक खाते खाली होने पर बुजुर्ग को ठगी का पता चला। इस मामले में साइबर क्राइम सेल को शिकायत की गई।
हरिद्वार, जेएनएन। बैंक खातों में सेंध लगाकर गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ करने वाले साइबर ठगों पर पुलिस नकेल नहीं कस पा रही है। साइबर ठगी का ताला शिकार एक रिटायर्ड भेलकर्मी को होना पड़ा। ठगों ने बुजुर्ग के चार बैंक खातों से करीब पांच लाख रुपये उड़ा दिए। चारों बैंक खाते खाली होने पर बुजुर्ग को ठगी का पता चला। साइबर क्राइम सेल उत्तराखंड को पूरे मामले की शिकायत की गई है।
भेल सेक्टर दो निवासी अंबरीश चंद्र गुप्ता भेल से रिटायर्ड हैं। उनके दो खाते पीएनबी और दो आइसीआइसीआइ बैंक शाखाओं में हैं। चारों बैंक खातों पर उनका एक ही मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है। उन्होंने बताया कि 31 मई को उनके मोबाइल पर अंजान नंबर से एक कॉल आई।
कॉल करने वाले शख्स ने खुद को मोबाइल कंपनी का कर्मचारी बताते हुए सिम फोर जी में अपग्रेड कराने के लिए कहा। अंबरीश गुप्ता का कहना था कि उनका सिम पहले से ही फोर जी अपग्रेड है। इस पर कॉल करने वाले व्यक्ति का कहना था कि उन्होंने सिम अपग्रेड नहीं कराया तो नंबर बंद कर दिया जाएगा।
परेशानी से बचने के लिए अंबरीश चंद्र गुप्ता ने उसके कहने पर मोबाइल पर मैसेज में आया ओटीपी नंबर बता दिया। इसके बाद उनके चारों बैंक खातों से करीब पांच लाख रुपये की रकम गायब हो गई। कई दिन बाद किसी को आनलाइन भुगतान करने के लिए उन्होंने खाते का इस्तेमाल किया तो एक-एक कर चारों खाते खाली होने की जानकारी मिली।
ऐसा माना जा रहा है कि ओटीपी के माध्यम से मोबाइल नंबर हैक करते हुए साइबर ठगों ने उनके चारों बैंक खातों का डाटा चुराया और फिर रकम गायब कर दी। अंबरीश चंद्र गुप्ता ने बताया कि पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन करने पर ज्वालापुर कोतवाली और फिर जिले की साइबर सेल प्रभारी से उन्होंने मौखिक शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। तब उन्होंने साइबर क्राइम सेल उत्तराखंड को ई-मेल पर शिकायत भेजी है।
बैंक में नहीं मिली नई पासबुक
वरिष्ठ नागरिक होने के बावजूद अंबरीश चंद्र गुप्ता को सिस्टम की बेरुखी का शिकार होना पड़ा। उन्होंने बताया कि जब वह नई पास बुक लेने के लिए बैंक गए तो कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिए। बैंककर्मियों का कहना था कि फिलहाल नई पासबुक उपलब्ध नहीं है। वहीं अंबरीश चंद्र गुप्ता ने मांग करते हुए कहा कि पुलिस को साइबर ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
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साथ ही बैंक को भी चेक से भुगतान व आनलाइन रकम ट्रांसफर करने का पूरा रिकॉर्ड खाताधारक को देना चाहिए। बैंक सिर्फ कोड नंबर डाल देते हैं। जिससे कुछ दिन बाद खाताधारक के लिए याद करना मुश्किल हो जाता है कि उसने खाते से किसको भुगतान किया है। भ्रम की स्थिति से भी ठगी की संभावनाएं बढ़ती हैं।
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