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एसी से फैले कोरोना वायरस को निष्क्रिय करेगी सीएसआइआर की ये तकनीक, जानिए

CSIR Roorkee Technology to prevent Coronavirus वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के विज्ञानियों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो एयर कंडीशनर (एसी) के माध्यम से हवा में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को 99.9 फीसद नष्ट कर सकती है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 07:50 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 07:50 AM (IST)
एसी से फैले कोरोना वायरस को निष्क्रिय करेगी सीएसआइआर की ये तकनीक, जानिए
एसी से फैले कोरोना वायरस को निष्क्रिय करेगी सीएसआइआर की ये तकनीक।

रीना डंडरियाल, रुड़की। CSIR Roorkee Technology to prevent Coronavirus वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के विज्ञानियों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो एयर कंडीशनर (एसी) के माध्यम से हवा में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को 99.9 फीसद नष्ट कर सकती है। इस अनुसंधान पर सीएसआइआर की सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंटेशन आर्गेनाइजेशन (सीएसआइओ), सूक्ष्म जीव प्रौद्योगिकी संस्थान (इमटेक) चंडीगढ़ और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की के विज्ञानियों ने संयुक्त रूप से कार्य किया।

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कोरोना वायरस को लेकर देश-विदेश के विज्ञानी तमाम तरह के शोध कार्य में जुटे हैं। इन शोध में यह बात सामने आई है कि हवा के जरिये भी कोरोना फैल सकता है। इसके अलावा एसी की हवा से भी कोरोना फैलने की आशंका जताई गई है। ऐसे में सीएसआइआर के विभिन्न संस्थानों के विज्ञानियों ने मिलकर अल्ट्रा वायलेट-सी (यूवी-सी) डिसइंफेक्टिव (निस्संक्रामक) टेक्नोलॉजी (एएचयू डक्ट के लिए) विकसित की है। इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन की वेब लेंथ 240 से 280 नैनोमीटर है। इसका प्रयोग संस्थान के सभागार व माल समेत ऐसी इमारतों, जहां एयर हैंडलिंग यूनिट (एएचयू) लगी होती हैं और डक्ट के माध्यम से हवा पहुंचाई जाती है, वहां पर किया जा सकेगा।

सीबीआरआइ रुड़की के आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रमुख विज्ञानी डा. अशोक कुमार ने बताया कि सीएसआइआर के संस्थान सीएसआइओ चंडीगढ़ ने इस तकनीक को विकसित किया है, जबकि इमटेक चंडीगढ़ की बायोसेफ्टी लेवल थ्री प्रयोगशाला में इसका परीक्षण किया गया। पाया गया कि यह तकनीक 99.9 फीसद वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और अन्य प्रकार के वायरस व एरोसोल को निष्क्रिय कर देती है। इसके जरिये वायरस के डीएनए व आरएनए पर अटैक किया जाता है। बताया कि इमटेक चंडीगढ़ की ओर से इस तकनीक की सफलता का परीक्षण करने के बाद इमारतों के सभागार में इसका इस्तेमाल किए जाने से पहले सीबीआरआइ रुड़की की प्रयोगशाला में टेस्ट बेड विकसित किया गया।

डा. अशोक ने बताया कि सीएसआइओ चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. अनंथा रामाकृष्णा के मार्गदर्शन में विज्ञानी डा. हैरी गर्ग और टीम ने यह तकनीक विकसित की। डा. हैरी गर्ग के अनुसार कोरोना वायरस का इंफेक्शन लेकर यह परीक्षण किया गया। सीबीआरआइ रुड़की डिजाइन एवं कार्यान्वयन का कार्य कर रहा है। इस टीम में डा. अशोक कुमार, नागेश बाबू बालम, डा. चंदन स्वरूप मीणा, डा. ताबिश आलम, डा. किशोर कुलकर्णी व निशांत राजकपूर शामिल हैं। टीम का मार्गदर्शन संस्थान के निदेशक डा. एन गोपालकृष्णन कर रहे हैं।

डिजाइन व प्लेसमेंट के बाद लगाई जा रही तकनीक

डा. अशोक कुमार ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर शुरूआत में दिल्ली स्थित सीएसआइआर मुख्यालय की इमारत के सभागार में इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस सभागार की क्षमता 250 से लेकर 300 व्यक्तियों की है। इसके अलावा सीएसआइआर के अन्य संस्थानों के सभागार, बड़े सम्मेलन हाल, जहां एएचयू मौजूद हैं, वहां सीएसआइओ चंडीगढ़ और सीबीआरआइ रुड़की डिजाइन व प्लेसमेंट का कार्य कर इस तकनीक को लगा रहा है। बताया कि यूवी की आपूर्ति को देशभर में 30 विक्रेताओं की पहचान की गई है।

डक्ट में यूवी-सी ऐसे निष्क्रिय करेगा वायरस

दुनियाभर में साबित हो चुका है कि यूवी-सी हवा को स्टरलाइज करने और इनडोर वायु गुणवत्ता को सुधारने व बनाए रखने का बेहद प्रभावी तरीका है। यूवी-सी एयर डिसइंफेक्शन सिस्टम के लिए मुख्य डिजाइन का उद्देश्य डक्ट या एयर हैंडलिंग यूनिट की एक निर्दिष्ट लंबाई में हर ओर समान रूप से यूवी ऊर्जा को वितरित करना है। ताकि न्यूनतम प्रणाली शक्ति के साथ विकिरणित क्षेत्र में उचित यूवी खुराक वितरित की जा सके।

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