नहाय-खाय संग हुई आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत
नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महोत्सव शुरू हो गया। सुबह से ही पूर्वांचल समाज की महिलाएं हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंची। छठ व्रतियों ने गंगा स्नान कर कलश में जल भरा और अपने निवास पहुंचकर पूजा स्थल पर व्रत के लिए कलश की स्थापना की।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महोत्सव शुरू हो गया। सुबह से ही पूर्वांचल समाज की महिलाएं हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंची। छठ व्रतियों ने गंगा स्नान कर कलश में जल भरा और अपने निवास पहुंचकर पूजा स्थल पर व्रत के लिए कलश की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने लौकी की सब्जी, चने की दाल और भात खाया। साथ ही मंगलवार को आयोजित होने वाले खरने की तैयारियां शुरू की।
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खरना आज, व्रती महिलाएं तैयार करेंगी खीर-रोटी का प्रसाद
छठ सूर्योपासना का पर्व है। सारे ब्रह्मांड का चराचर जीव भगवान सूर्य से ऊर्जा पाते हैं। पृथ्वी पर जीवन भगवान भास्कर के कारण ही संभव है। पूर्वांचल ही नहीं, अब दूसरे प्रदेशों में भी जहां पूर्वांचल के लोग बसे हैं वहां पूरे भक्ति भाव से छठ त्योहार मनाया जाता है। सौभाग्य, आरोग्य, शांति, खुशहाली, संतान प्राप्ति की कामना के साथ छठ व्रती चार दिनों तक उपासना में लीन रहते हैं। पूर्वांचल जन जागृति संस्था के संरक्षक कमलेश्वर मिश्रा ने बताया कि नहाय-खाय के अगले दिन मंगलवार को लोहंडा यानि खरना का अनुष्ठान होगा। इस दिन 24 घंटे निराहार रहकर व्रती महिलाएं साठी के चावल और गुड़ की बनी खीर और रोटी प्रसाद रूप में अर्पित करेंगी। बुधवार को गंगा किनारे अस्ताचलगामी और गुरुवार को उदीयमान भास्कर देव को अर्घ्य देने के साथ चार दिनी छठ महाव्रत का समापन होगा।
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मांगल गीतों के साथ भोग सामग्री की तैयारी: अस्ताचलगामी और उदीयमान भास्कर देव को नाना प्रकार के मौसमी फल और पकवानों से अर्घ्य दिया जाता है। महाप्रसाद की तैयारी भी सोमवार से शुरू हो गई है। पूर्ण शुद्धता और सतर्कता के साथ सुखाए गेहूं को हाथ की चक्की से पीसकर साथ ही मांगल गीतों का गान कर भोग सामग्री तैयार की जाती है। उत्तरी हरिद्वार में व्रतियों ने महाप्रसाद के लिए सामूहिक रूप से आटा तैयार किया।
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छठ पर भी महंगाई की मार
छठ पर्व पर पूर्वांचलवासियों को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। सूप, डाला, टोकरा, नारियल, ईख, नींबू के साथ ही अन्य फलों की कीमत भी अचानक आसमान छूने लगी हैं। लेकिन, पर्व की महत्ता को देखते हुए कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी कोई मायने नहीं रखती। जगह-जगह सूप, डाला, टोकरा, टोकरी आदि की खरीदारी करते श्रद्धालु देखे गए। गन्ना, नारियल समेत अन्य मौसमी फलों की भी जमकर खरीदारी हुई।
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लक्सर में भी छठ की छटा
लक्सर: नहाय-खाय के साथ सोमवार से छठ महापर्व शुरू हो गया। लक्सर क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में लोग छठ मनाते हैं। प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी पंडित अरविद शर्मा एवं साईं मंदिर के पुजारी पंडित अवनीश शर्मा के अनुसार छठ पूजा का प्रारंभ त्रेता युग से माना जाता है। माता सीता ने त्रेता युग में इस व्रत को किया था। महाभारत काल में कुंती के भी इस व्रत को करने का उल्लेख मिलता है। सोमवार से नहाय खाय के साथ यह व्रत शुरू हो गया। यह व्रत भगवान सूर्य और उनकी बहन षष्ठी देवी को समर्पित है।