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27 साल बाद भीख मांगती मिली बिहार की महिलाकर्मी, कहा- फांसी दे दीजिए पर घर नहीं जाऊंगी

27 साल पहले लापता हुई पटना नगर निगम की एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरिद्वार के बहादराबाद में भीख मांगती मिली।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 02:00 AM (IST)
27 साल बाद भीख मांगती मिली बिहार की महिलाकर्मी, कहा- फांसी दे दीजिए पर घर नहीं जाऊंगी
27 साल बाद भीख मांगती मिली बिहार की महिलाकर्मी, कहा- फांसी दे दीजिए पर घर नहीं जाऊंगी

हरिद्वार, जेएनएन। बिहार से 27 साल पहले लापता हुई पटना नगर निगम की एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शनिवार को बहादराबाद (हरिद्वार) में भीख मांगती मिली। दरअसल, पटना से वृद्धा का भतीजा अपने रिश्तेदार से मिलने हरिद्वार आया था। बस से उतरकर जैसे ही उसकी नजर भीख मांग रही एक वृद्धा पर पड़ी वह अवाक रह गया। वह 27 साल पहले लापता हुई उसकी ताई थी। वृद्धा ने भी उसे पहचान लिया। लेकिन, घर वापस लौटने से साफ इन्कार कर दिया। पुलिस ने अब उसके बेटे को हरिद्वार बुलाया है।

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पुलिस के मुताबिक पटना नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मी रामरति देवी उर्फ मुन्नी वर्ष 1993 में अचानक लापता हो गई थी। स्वजनों ने महिला की गुमशुदगी दर्ज कराई और कई साल तक बिहार पुलिस के साथ उसकी ढूंढ-खोज भी की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। करीब दस वर्ष पूर्व स्वजन मान चुके थे कि महिला की मौत हो गई होगी। लेकिन, शनिवार को रामरति का अचानक फिल्मी अंदाज में अपने भतीजे से आमना-सामना हो गया। 

बहादराबाद में बस से उतरते ही पटना निवासी राकेश बस अड्डे में भीख मांग रही बुजुर्ग महिला को देखकर हैरान रह गया। राकेश ने उसे ताई कहकर पुकारा तो महिला ने भी 'हां बेटा' कहते हुए जवाब दिया। आमना-सामना होते ही दोनों एक-दूसरे को पहचान गए। राकेश ने रामरती को घर लौटने के लिए कहा तो उसने साफ मना कर दिया। तब राकेश उसे लेकर चंद कदम के फासले पर स्थित बहादराबाद कस्बा चौकी पहुंचा और पुलिस से सारा किस्सा बयां किया। इस पर पुलिस ने राकेश से रामरति के बेटे का मोबाइल नंबर लेकर उससे संपर्क किया। 

एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय ने बताया कि रामरति किसी बात पर परिवार से नाराज होकर वर्ष 1993 में घर छोड़ आई थी। तब से वह भीख मांगकर जीवन गुजार रही है और घर भी नहीं लौटना चाहती। लिहाजा, उसके बेटे को बुलाया गया है। 

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फांसी दे दो, पर घर नहीं लौटूंगी

रामरती करीब दस साल से एक बाबा के साथ रहती है। 'दैनिक जागरणÓ से बातचीत में रामरति ने बताया कि चाहे फांसी लगा दीजिए, लेकिन घर नहीं लौटूंगी। वह अब बाबा के साथ ही रहना चाहती है। बताया कि बीते कई वर्षों तक वह महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के बदरीनाथ, केदारनाथ व ऋषिकेश में रही है। फिलहाल वह हरिद्वार में रह रही है। 

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तब 15 साल थी राकेश की उम्र

रामरति का भतीजा राकेश कुमार पटना विवि में लिपिक है। जब रामरति ने घर छोड़ा, तब उसकी उम्र 15 साल थी। लेकिन, ताई का चेहरा उसे अच्छी तरह याद था, इसलिए देखते ही पहचान गया। रामरति ने भी उसे पहचानने में देर नहीं लगाई। बहादराबाद थानाध्यक्ष गोविंद कुमार ने बताया कि रामरति के दो बेटे और दो बेटियां हैं। सभी की शादी हो चुकी है। रामरति की उम्र वर्तमान 76 वर्ष है। वह घर न छोड़ती तो 16 साल पहले रिटायर्ड हो चुकी होती।

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