Haridwar Kumbh Mela 2021: अखाड़ों में जमने लगा कुंभ का रंग, तैयारियां तेज
Haridwar Kumbh Mela 2021 कोविड के साये के बीच धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर है। अखाड़ा परिषद की मांग के बावजूद कुंभ और महामंडलेश्वर नगर बसाने को लेकर भले अभी स्थिति साफ नहीं है लेकिन सभी 13 अखाड़ों ने कुंभ को लेकर तैयारियां शुरू कर दी।
मनीष कुमार, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 कोविड के साये के बीच धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर है। आस्था के मेले के लिए हरकी पैड़ी से लेकर पूरी कुंभनगरी का कायाकल्प किया जा रहा है। मेला स्थल और नहर पटरी मार्ग को सूबसूरत बनाया जा रहा है। पुल, पुलिया और घाटों के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। अखाड़ा परिषद की मांग के बावजूद कुंभ और महामंडलेश्वर नगर बसाने को लेकर भले अभी स्थिति साफ नहीं है, लेकिन सभी 13 अखाड़ों ने कुंभ को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। अखाड़ों में जहां निर्माण कार्य जोरों पर है, वहीं कुंभ के लिए आमंत्रण आदि भेजने की तैयारी चल रही हैं।
- बाबा हठयोगी (स्थानीय महंत श्री पंच दिगंबर अणि अखाड़ा और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता) ने कहा कि कुंभ को लेकर अखाड़ों की तैयारियां चल रही हैं। 25 मार्च को वृंदावन कुंभ का समापन होगा। इसके बाद तीन अणियों और 850 से अधिक खालसे हरिद्वार कुंभ के लिए पहुंच जाएंगे। खास यह कि सभी बगैर आमंत्रण श्रद्धाभाव से आएंगे। इनके पहुंचने पर बाकी तैयारियां की जाएंगी।
- श्रीमहंत रविंद्र पुरी (सचिव, श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी) ने कहा कि हरिद्वार कुंभ भव्य, दिव्य और सुरक्षित संपन्न कराया जाएगा। साधु संतों में कुंभ को लेकर भारी उल्लास है। देश के प्रमुख संतों को निमंत्रण देने के लिए सूची तैयार की जा रही है। निमंत्रण पत्र छप चुके हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मंत्री और सभी केंद्रीय मंत्रियों को भी कुंभ का न्योता अखाड़े की ओर से दिया जाएगा। निरंजनी अखाड़े की पार्किंग में भव्य पंडाल लगाने का कार्य चल रहा है। सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएंगी।
- श्री महंत दुर्गा दास (कुंभ मेला प्रभारी, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन) ने कहा कि जहां-जहां अखाड़े के आश्रम हैं वहां आमंत्रण भेजा जा चुका है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। अखाड़े में निर्माण कार्य चल रहा है। छावनी में पानी की व्यवस्था तो हो गई है, लेकिन बिजली और शौचालय की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। धर्म ध्वजा के लिए कुंभ मेला प्रशासन की ओर से अभी तक लकड़ी मुहैया नहीं कराई गई है।
- श्रीमहंत सत्यगिरी (आह्वान अखाड़ा) ने कहा कि कुंभ के दृष्टिगत भूपतवाला में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। चूंकि यह अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़ा है। जूना अखाड़े की पेशवाई की तारीख निश्चित होने के बाद आह्वान अखाड़ा तैयारियों को लेकर आगे निर्णय लेगा। धर्म ध्वजा के लिए अब तक मेला अधिष्ठान की ओर से लकड़ी देखने का बुलावा नहीं आया है।
- श्रीमहंत राजेंद्र दास (अध्यक्ष श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़ा) ने कहा कि मेला दिव्य और भव्य हो इसके लिए अखाड़े की तैयारियां चल रही है। कुंभ मेला शास्त्र से जुड़ा है। इसलिए इसमें निमंत्रण नहीं दिया जाता है। प्रयागराज के माघ मेले के बाद संत महात्मा नियत समय पर यहां आएंगे। पिछले दिनों अखाड़ा परिषद की बैठक में मेला प्रशासन को आगाह किया जा चुका है वह कुंभ नगर, महामंडलेश्वर नगर आदि को मूर्त रूप नहीं देता है तो अखाड़े अपने स्तर से तैयारियां कर कुंभ मेले को दिव्य और भव्य बनाएंगे।
- कोठारी महंत जसविंदर सिंह (श्री पंचायती अखाड़ा, निर्मल) ने कहा कि कुंभ मेले को लेकर तैयारियां चल रही हैं। भवन निर्माण से लेकर रंग रोगन आदि कराया जा रहा है। कुंभ से पहले सभी कार्य संपन्न हो जाएंगे। अखाड़े की ओर से निर्मला छावनी में शिविर लगाने को भूमि का समतलीकरण कराने से लेकर साफ सफाई, रंग रोगन आदि का कार्य चल रहा है। कुंभ में मेला प्रशासन की ओर से अब तक शिविरों की व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि पहले कुंभ नगर, महामंडलेश्वर नगर आदि बसाए जाते थे। जहां प्रशासन की ओर से पानी, बिजली, शौचालय आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी। कुंभ के स्वरूप को लेकर स्थिति साफ न होने के चलते आमंत्रण नहीं भेजे गए हैं।
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12 के बजाए 11 वर्ष में पड़ रहा कुंभ
मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में गुरु के आने के संयोग पर हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है। ग्रहों की चाल के चलते यह कुंभ 12 के बजाय 11वें वर्ष में पड़ रहा है। कुंभ मेलाकाल भी 48 दिन ही है। बृहस्पति और सूर्य के संयोग से बने कुंभ पर कुल चार शाही स्नान होंगे। इन स्नानों पर 13 अखाड़े से जुड़ी सभी संत आस्था की डुबकी के लिए हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे। पहली शाही स्नान 11 मार्च शिवरात्रि, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या और तीसरा मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल मेष संक्राति पर पड़ेगा। तीनों स्नानों पर सभी 13 अखाड़े स्नान करते हैं। जबकि चौथा शाही स्नान बैसाख पूर्णिमा के दिन 27 अप्रैल को भी पड़ेगा, लेकिन उस स्नान पर केवल बैरागियों की तीन अणियां स्नान करेंगी। संन्यासी अखाड़े यह स्नान नहीं करते हैं।
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