जागरण संवाददाता, रुड़की: बरसात में हर साल औद्योगिक क्षेत्र के करीब 70 हजार कर्मचारियों को जलभराव की परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह समस्या केवल एक या दो साल पुरानी नहीं है, बल्कि लगभग 17 सालों से बनी हुई है। औद्योगिक क्षेत्र के आसपास स्थित गांव के लोगों को भी इस परेशानी से जूझना पड़ता है। जलभराव के बाद गंदे पानी से बीमारियों का प्रकोप फैलने की आशंका बनी रहती है। कई बार भगवानपुर औद्योगिक एसोसिएशन इस समस्या के समाधान को लेकर जनप्रतिनिधियों से मिल चुके हैं, लेकिन समाधान आज तक नहीं हो सका है।
वर्ष 2002 से भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र अस्तित्व में आया था। औद्योगिक क्षेत्र में करीब 455 फैक्ट्रियां हैं। जिसमें से 310 फैक्ट्रियां संचालित हैं। इन फैक्ट्रियों में करीब 70 हजार कर्मचारी काम करते हैं। औद्योगिक क्षेत्र का विकास तो पूरी तरह से हुआ, लेकिन यहां पर व्यवस्था आज तक नहीं बन पाई है। औद्योगिक क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। जिसके चलते बरसात के दिनों में जलभराव होता है। जलभराव के चलते औद्योगिक क्षेत्र में तीन से चार फीट पानी भर जाता है। यह एक या दो जगह की बात नहीं है बल्कि भगवानपुर के सिसौना, रायपुर और मक्खनपुर सिकंदपुर औद्योगिक क्षेत्र में बरसात में इस तरह के हालत आम बात हैं। सड़कों पर बने गहरे गड्ढों में पानी भर जाता है। जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है। पिछले साल एक कर्मचारी की कंपनी में जाते समय पानी भरे गहरे गड्ढे में डूबने से मौत हो गई थी। जलभराव की इस समस्या से औद्योगिक क्षेत्र से सटे गांव भी चपेट में आते हैं। जलभराव होने से कर्मचारियों को फैक्ट्री तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ती है। कंपनी को कर्मचारियों को लाने और ले जाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली और नाव का सहारा लेना पड़ता है। रायपुर स्थित फैक्ट्रीकर्मी वीर सिंह, अशोक पांचाल, गौतम कपूर, शिवम गोयल, मधुर सिसौधिया आदि का कहना है कि बरसात में हर साल जलभराव से फैक्ट्री पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जान जोखिम में डालकर जलभराव के बीच से होकर निकलना पड़ता है। कई बार जनप्रतिनिधियों से इस समस्या के समाधान की मांग की गई लेकिन जनप्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन तक सीमित हैं।
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