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संस्कृत के शोध को समाज तक पहुंचाएं

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के सहयोग से भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Mar 2017 07:55 PM (IST)Updated: Sat, 04 Mar 2017 07:55 PM (IST)
संस्कृत के शोध को समाज तक पहुंचाएं
संस्कृत के शोध को समाज तक पहुंचाएं

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के सहयोग से भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में शनिवार से दो दिवसीय अखिल भारतीय शोध सम्मेलन शुरू हुआ। प्रथम दिन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू सहित विभिन्न प्रांतों से आए आचार्यों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्रों को पढ़ा। यह सम्मेलन रविवार को भी होगा।

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शनिवार को सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देवप्रयाग के प्रो. बीके सुब्बारायडु एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. महावीर अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रो. सुब्बारायडु ने कहा कि आज के दौर में भी सर्वाधिक लेखन एवं प्रकाशन संस्कृत भाषा में हो रहा है। इन सभी विषयों से समाज अब भी अनभिज्ञ है। जब तक समाज में इन विषयों को पहुंचाया नहीं जाएगा, तब तक कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए ऐसे विषयों को शोध सम्मेलन में शामिल किया गया है, ताकि समाज को एक नई दिशा मिल सके। विशिष्ट अतिथि प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि शोध सम्मेलन से छात्रों एवं शोधार्थियों को नई राह मिलती है। इसमें प्राप्त नवीन तत्व के आधार से छात्र आगे शोध करने में प्रवृत्त होते हैं। अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. भोला झा ने अतिथियों को माला एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। इसमें शोध के निबंध के रूप में महाभारतस्योपजीव्यत्वम एवं संस्कृत साहित्यस्याधुनिकलेखन परंपरा विषय शामिल थे। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू सहित अन्य राज्यों के शोधार्थियों ने शोध पत्रों को पढ़ा। इस दौरान महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निरंजन मिश्र के ग्रंथिबंधनम महाकाव्य पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर प्रो. राधेश्याम चतुर्वेदी , प्रो. वेद प्रकाश शास्त्री, प्रो. नागेंद्र झा, प्रो. वनमाली विश्वाल, डॉ. राजेंद्र त्रिपाठी, डॉ. राजकुमार मिश्र, डॉ. अर¨वद कुमार तिवारी आदि मौजूद थे।


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