'संस्कृत भाषा नहीं, भारत की परिभाषा है'
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: संस्कृत भारती संस्था की ओर से जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवध
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: संस्कृत भारती संस्था की ओर से जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अध्यक्षता में संस्कृत सप्ताह के पहले दिन हरिहर आश्रम कनखल में विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने घोषणा की कि वैदिक शोध भारती नामक पत्रिका का प्रकाशन शीघ्र ही किया जाएगा, जिसका समस्त आर्थिक सहयोग हरिहर आश्रम की ओर से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं, बल्कि यह भारत की परिभाषा है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से संस्कृत को रोजगार से जोड़ा जाना बहुत जरूरी है। तभी संस्कृत का प्रचार प्रसार संभव होगा। कहा कि आज हम सभी को संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए आगे आना होगा। प्रो. वेदप्रकाश शास्त्री ने कहा कि आज संस्कृत बोलने वाले घर-घर में शहर-शहर में मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के सरल रूप को लोगों के सामने रखने की आवश्यकता है। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. सुरेश चरण बहुगुणा ने कहा कि संस्कृत भारती संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने वाली विशेष संस्था है। डॉ. भोला झा ने कहा कि संस्कृत भाषा में गणित, विज्ञान प्रबंधन तथा आयुर्वेद व योग, दर्शन आदि समस्त विषय समाहित हैं। अत: प्रत्येक भारतीय को संस्कृत भाषा का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर प्रो. महावीर अग्रवाल, संस्कृत भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. प्रकाश पंत, डॉ. प्रेमचंद शास्त्री आदि ने भी संस्कृत भाषा के महत्व को समझाया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत भारती के प्रांतीय सहमंत्री डॉ. हरीश चंद्र गुरूरानी ने किया। इस अवसर पर डा. निरंजन मिश्र, डॉ. पद्म प्रसाद सुर्वेदी, डॉ. ओमप्रकाश भट्ट, डॉ. देवीप्रसाद उनियाल, ब्रह्मानंद बिडालिया आदि मौजूद थे।