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कन्हैया के कारीगरी की धर्मनगरी कायल

कहते हैं अगर हुनर है तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इसी को साबित कर रहे हैं धर्मनगरी के 13 वर्षीय कन्हैया सेठी। पारिवारिक तंगहाली के बावजूद कन्हैया नित नए प्रयोगों में मशगूल रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 06:12 AM (IST)
कन्हैया के कारीगरी की धर्मनगरी कायल
कन्हैया के कारीगरी की धर्मनगरी कायल

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: कहते हैं अगर हुनर है तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इसी को साबित कर रहे हैं धर्मनगरी के 13 वर्षीय कन्हैया सेठी। पारिवारिक तंगहाली के बावजूद कन्हैया नित नए प्रयोगों में मशगूल रहते हैं। साइकिल को बैटरी व मोटर लगाकर इलेक्ट्रिक साइकिल में तब्दील कर चुके कन्हैया ने अब प्लाईवुड से डिजाइन कर बैटरी चालित कार बनाई है। उनकी इस कारीगरी को क्षेत्र में जमकर सराहना मिल रही है।

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भूपतवाला के मुखियागली निवासी कन्हैया सेठी पुत्र जितेंद्र सेठी भागीरथी विद्यालय हरिपुरकला में कक्षा 8वीं के छात्र हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिक बैटरी चालित रिमोट कंट्रोल कार दो महीने की मेहनत से बनाई। इस कार की लंबाई पांच फीट पांच इंच, चौड़ाई दो फीट पांच इंच और ऊंचाई चार फीट छह इंच है। इसमें एलइडी लाइट, इंडीकेटर, हॉर्न, शीशा और चाभी लगी है जो स्विच से ऑन-आफ होती है। कार बटन से आगे पीछे भी होती है। इस कार में 230 वाट की चार बैटरी लगी है। कुल क्षमता 920 वाट की है और कार के इंजन में 800 वाट की मोटर लगी है। इसकी बाड़ी प्लाईवुड से डिजाइन है। इसे बनाने में कन्हैया ने यूटयूब का भी सहारा लिया। इस सफलता रिश्तेदार और पास पड़ोस के लोगों के साथ ही सोशल मीडिया पर भी खूब सराहना मिल रही है। कन्हैया ने दशहरा मेले के लिए 15 फुट ऊंचा रावण का पुतला भी 2019 में बनाया था। जिसे दूधाधारी में दशहरे के दिन श्री रामलीला समिति भूपतवाला ने दो अन्य रावण के पुतलों के साथ मैदान में खड़ा करने की अनुमति दी थी। रामलीला समिति के महामंत्री ने उसे सम्मानित भी किया था।

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मामा के आर्थिक मदद से निखर रहा कन्हैया का हुनर

कन्हैया सेठी स्कूल में पढ़ाई के साथ ट्यूशन के लिए भी जाते हैं। वह डांस भी सीखते हैं। कन्हैया के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मगर कन्हैया की सोच व उसके लगन को देखते हुए कपड़े की दुकान चलाने वाले उसके मामा दीपक प्रजापति उसके कार्य को पूरा आर्थिक मदद देते हैं। कन्हैया ने बताया कि उसके मामा की मदद से 30 हजार रुपये की लागत से इस बैटरी चालित इलेक्ट्रिक कार बन पाई है।


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