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आपसी समन्वय के कारण अटकी युवा कल्याण नीति

प्रदेश में बीते चार साल से युवा कल्याण नीति पर काम नहीं हो पाया है। कारण इसमें युवा कल्याण से संबंधित विभिन्न विभागों के सुझाव शामिल होने हैं। विभागों में आपसी समन्वय की कमी के कारण नीति का मसौदा अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 03:08 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 05:31 PM (IST)
आपसी समन्वय के कारण अटकी युवा कल्याण नीति
प्रदेश में बीते चार साल से युवा कल्याण नीति पर काम नहीं हो पाया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में बीते चार साल से युवा कल्याण नीति पर काम नहीं हो पाया है। कारण, इसमें युवा कल्याण से संबंधित विभिन्न विभागों के सुझाव शामिल होने हैं। युवा कल्याण विभाग को यह सुझाव नहीं मिले हैं। विभागों में आपसी समन्वय की कमी के कारण नीति का मसौदा अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाया है।

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प्रदेश में नई युवा कल्याण नीति बनाने को काफी लंबे समय से प्रयास चल रहा है। दरअसल, वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड आया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के युवाओं को उज्ज्वल भविष्य देने के लिए नई नीति बनाने करने पर जोर दिया। इसके लिए प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के विभिन्न विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं और सिविल सोसायटी के सदस्यों से विचार विमर्श कर एक रिपोर्ट तैयार की। इस नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी विभागों व स्वयं सहायता समूहों से सुझाव भी आमंत्रित किए गए। इसके आधार पर युवा कल्याण विभाग ने एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा। शासन ने इस नीति को अंतिम रूप देने से पहले निदेशक युवा कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया और यह अपेक्षा की गई कि संबंधित विभागों से सुझाव लेकर नीति को अंतिम रूप दिया जाए, जिस पर अभी तक काम नहीं हो पाया है। प्रदेश की मौजूदा युवा कल्याण नीति वर्ष 2011 में बनाई गई थी। इस नीति में युवाओं को दो आयुवर्ग में बांटा गया। एक वर्ग में छह से 14 वर्ष के किशोर और दूसरे वर्ग में 15 से 35 वर्ष के युवाओं को शामिल किया गया। नीति में इन दोनों वर्गो के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं।

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इसमें युवाओं के विकास के अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं, सेवायोजन एवं प्रशिक्षण, शिक्षा, खेल व स्वास्थ्य आदि विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई। इस नीति को गति देने के लिए सभी विभागों की सहभागिता भी तय हुई। विभागों के आपसी तालमेल के अभाव चलते युवा नीति के अनुसार कभी काम ही नहीं हो पाया। यही कारण रहा कि इसे नए सिरे से बनाने की जरूरत महसूस की गई। अब फिर से संबंधित विभागों में आपसी समन्वय न होने के कारण नीति नहीं बन पा रहा है। निदेशक युवा कल्याण जीएस रावत का कहना है कि सभी विभागों के सुझाव मिलने के बाद ही नीति को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।

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