Move to Jagran APP

सेना में जाने का जुनून कुछ ऐसा, पीसीएस छोड़ सेना को बनाया कॅरियर

आइएमए से पास आउट होने वाले नव सैन्य अफसरों के पास अन्य क्षेत्रों में भी कॅरियर बनाने के मौके थे। बावजूद इसके उनका जोश जज्बा और जुनून था तो सिर्फ देश सेवा के लिए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 10:01 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 07:55 PM (IST)
सेना में जाने का जुनून कुछ ऐसा, पीसीएस छोड़ सेना को बनाया कॅरियर
सेना में जाने का जुनून कुछ ऐसा, पीसीएस छोड़ सेना को बनाया कॅरियर

देहरादून, विजय जोशी। शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने वाले नव सैन्य अफसरों के पास अन्य क्षेत्रों में भी कॅरियर बनाने के मौके थे। बावजूद इसके उनका जोश, जज्बा और जुनून था तो सिर्फ देश सेवा के लिए। रोहित शर्मा भी इन्हीं में से एक हैं।

loksabha election banner

पंजाब के नवां शहर जिले के बालाचौड़ निवासी रोहित शर्मा बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। रोहित का पीसीएस में चयन हो गया था, लेकिन सेना में जाने का जुनून कुछ ऐसा था कि उन्होंने पीसीएस में जाने का विचार ही त्याग दिया। रोहित बताते हैं कि ‘काफी समय से आइएएस और पीसीएस की तैयारी कर रहा था, लेकिन मन में सेना बसी थी।’ पिता शिव शर्मा और माता मंजू शर्मा ने भी रोहित को अपने मन की करने की सलाह दी और हमेशा सपोर्ट किया।

पिता मेडिकल क्षेत्र में भेजना चाहते थे, मगर..: 

स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अपने नाम करने वाले विनय विलास गारड़ ने साबित किया कि यदि कुछ करने की ठान ली जाए तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद कस्बे से सटे भूम गांव के रहने वाले विनय के माता-पिता शिक्षक हैं। विनय के पिता विलास गारड़ कहते हैं कि वे बचपन से ही विनय को मेडिकल फील्ड में भेजना चाहते थे, लेकिन आठवीं कक्षा के बाद विनय की रुचि सेना के प्रति दिखने लगी तो उसे सैनिक स्कूल सतारा में दाखिला दिला दिया। यहां से निकलने के बाद विनय ने पहले प्रयास में एनडीए की परीक्षा पास कर आइएमए का रुख किया। आइएमए में प्रशिक्षण के दौरान भी उन्होंने साबित किया कि वे अनुशासन और जिम्मेदारी के निर्वहन में श्रेष्ठ हैं।

असफलता से हार नहीं मानी

टेक्निकल ग्रेजुएट ग्रुप में रजत पदक प्राप्त करने वाले शिवराज सिंह ने भी असफलताओं से निराश होने वाले युवाओं के सामने नजीर पेश की। जोधपुर राजस्थान के रहने वाले शिवराज पांच बार सीडीएस परीक्षा में असफल रहे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कड़ी मेहनत और सेना के प्रति जुनून ने उन्हें मुकाम तक पहुंचा ही दिया। छठे प्रयास में वे सफल हुए।

यह भी पढ़ें: आइएमए से पास आउट युवाओं ने वर्दी पहनी अब सेहरे की बारी

इतना ही नहीं, उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान शानदार प्रदर्शन कर रजत पदक अपने नाम किया। शिवराज ने कहा कि उनके पिता गजे सिंह भी सेना में अफसर हैं और उन्हीं को देखकर सेना के प्रति लगाव बढ़ा। उनकी माता सरला कंवर ने कहा कि बेटे का अफसर बनना सपना साकार होने जैसा है। शिवराज ने दून की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने डीआइटी से ग्रेजुएशन की और दून में करीब पांच साल बिताए।

यह भी पढ़ें: IMA Passing Out Parade: भारतीय सेना को मिले 306 युवा जांबाज अधिकारी, रक्षा मंत्री ने ली परेड की सलामी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.