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world population day: 150 साल बाद पहली डिजिटल जनगणना में सिर्फ इंतजार

world population day करीब 150 साल के इतिहास में पहली दफा जनगणना को डिजिटल माध्यम से किया जाना था। जनगणना के आंकड़े एकत्रित कर मोबाइल एप में दर्ज किए जाने थे और साफ्टवेयर के माध्यम से उनका स्वत विश्लेषण किया जाना था।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 11 Jul 2021 07:10 AM (IST)
world population day: 150 साल बाद पहली डिजिटल जनगणना में सिर्फ इंतजार
world population day करीब 150 साल के इतिहास में पहली दफा जनगणना को डिजिटल माध्यम से किया जाना था।

जागरण संवाददाता, देहरादून: world population day करीब 150 साल के इतिहास में पहली दफा जनगणना को डिजिटल माध्यम से किया जाना था। जनगणना के आंकड़े एकत्रित कर मोबाइल एप में दर्ज किए जाने थे और साफ्टवेयर के माध्यम से उनका स्वत: विश्लेषण किया जाना था। उम्मीद थी कि पहली बार जनगणना 2021 से सभी तरह के आंकड़े एक साल के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। क्योंकि सामान्य प्रक्रिया में आंकड़ें गणना के कई साल बाद तक जारी किए जाते रहते हैं। हालांकि, पहले कोरोना की पहली लहर व फिर दूसरी लहर ने जनगणना की उम्मीद को झटका दे दिया। फरवरी 2021 में जनगणना न हो पाने के बाद उम्मीद थी कि फरवरी 2022 में इसे पूरा किया जा सकता है। तभी अप्रैल माह में ही कोरोना की दूसरी लहर ने जोर पकड़ा और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।

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जनगणना में सिर्फ नागरिकों की गणना नहीं की जाती है, बल्कि परिवार, लिंगानुपात, आवास से लेकर रोजगार, शिक्षा, बिजली-पानी व शौचालय की स्थिति आदि के आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। इन आंकड़ों को सबसे विश्वसनीय माना जाता है और इसी के आधार पर क्षेत्र विशेष में विकास योजनाओं का आकार तय किया जाता है। कोरोना संक्रमण न होता तो बीती नौ से 28 फरवरी के बीच 2021 की अंतिम चरण की जनगणना भी हो चुकी होती। क्योंकि मार्च माह से पहले चार्ज स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका था और कुल 32 हजार के करीब कार्मिकों को भी प्रशिक्षण झटपट दे दिया जाता।

जनगणना दो चरण में होनी थी। पहला चरण अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 (मकान सूचीकरण चरण) का था, जबकि दूसरा व मुख्य चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 को पूरा किया जाना था। हालांकि, कोरोना संक्रमण व लाकडाउन के चलते यह संभव नहीं हो पाया।

जनगणना कार्य निदेशालय (देहरादून) के उप निदेशक शैलेंद्र सिंह नेगी के मुताबिक हालात सामान्य हो ही रहे थे कि अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर ने जोर पकड़ दिया। लिहाजा, जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों का इंतजार भी बढ़ता चला गया। इस बार जनगणना मोबाइल एप से डिजिटल फ ार्मेट में की जानी थी। 2021 की जगह यदि जनगणना को वर्ष 2022 में भी कराया जाता, तब भी उसके लिए अप्रैल 2021 में पहला चरण शुरू होना जरूरी था।

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एनपीआर किया जाना था अपडेट

जनगणना में पहली बार नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) भी अपडेट किया जाना था। बताया जा रहा है कि यह कानून एवं व्यवस्था, लैंगिक समानता जैसे मुद्दों को हल करने में मदद करेगा। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एनपीआर के तहत किस-किस जानकारी को दर्ज किया जाना है और कोरोना के चलते निकट भविष्य में ऐसी कोई उम्मीद नहीं दिखती।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहले होती है मुख्य जनगणना

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जनगणना के दूसरे चरण में बर्फ पडऩे की संभावना रहती है। लिहाजा, ऐसे क्षेत्रों में सितंबर माह में पहला चरण पूरा करने के बाद दूसरा चरण भी शुरू कर दिया जाता है।

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