उत्तराखंड में बढ़ रहा गैर संचारी रोगों का जोखिम, राज्य में हर तीसरा व्यक्ति Hypertension से पीड़ित
World Hypertension Day 2022 पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। राज्य में हर तीन में से एक पुरुष (31.8 प्रतिशत) हाईपरटेंशन से पीड़ित है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की दवा लेता है। राज्य में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता में बढ़ोतरी हुई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: World Hypertension Day 2022 : हाई ब्लड प्रेशर (हाईपरटेंशन) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। राज्य में हर तीन में से एक पुरुष (31.8 प्रतिशत) हाईपरटेंशन से पीड़ित है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की दवा लेता है। यह राष्ट्रीय औसत से 7.8 प्रतिशत ज्यादा है। राज्य में महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का आंकड़ा 22.9 प्रतिशत है। यह भी राष्ट्रीय औसत से 1.6 प्रतिशत अधिक है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ हाल ही में जारी पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अनियमित दिनचर्या गलत खानपान, शारीरिक निष्क्रियता,मोटापा आदि इसके प्रमुख कारक हैं। ब्लड प्रेशर बढऩे से हृ्दय, लिवर, किडनी और अन्य अंगों के लिए भी खतरा होता है।
बढ़ रही मोटापे की समस्या
एनएफएचएस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता में बढ़ोतरी हुई है। यहां एक चौथाई से अधिक महिलाएं मोटापा से ग्रसित हैं। शहरी क्षेत्र की 39.1 प्रतिशत और ग्रामीण परिवेश में रहने वाली 25.4 प्रतिशत महिलाएं मौजूदा समय में ओवरवेट हैं। यह महिलाओं की कुल जनसंख्या का 29.7 प्रतिशत है। इसी तरह पुरुषों में भी मोटापा की समस्या बढ़ी है।
शहरी क्षेत्र में रहने वाले 31.4 प्रतिशत और गांवों में रहने वाले 25 प्रतिशत पुरुष मोटापाग्रस्त हैं। बात कुल जनसंख्या की करें तो यह प्रदेश की पुरुष आबादी का 27.1 प्रतिशत है। पांच वर्ष पहले राज्य में कुल 17.7 प्रतिशत पुरुष ही मोटापे से परेशान थे। जबकि 20.4 प्रतिशत महिलाएं मोटापाग्रस्त थी।
एनिमियाग्रस्त किशोरों की बढ़ी संख्या
राज्य में एनिमिया को लेकर स्थिति में कुछ सुधार दिखा है। पर इस स्वास्थ्य सूचकांक से जुड़ा भी एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। किशोरियों के साथ ही अब किशोरों में भी एनिमिया एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। एनएफएचएस-4 (2015-16) में राज्य में 15-19 साल के 22.2 प्रतिशत किशोर एनिमियाग्रस्त पाए गए।
एनएफएचएस-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 27.6 प्रतिशत पहुंच गया है। किशोरियों में अपेक्षाकृत सुधार दिखा है। किशोरियों में एनिमिया 46.4 प्रतिशत से घटकर 40.9 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं, गर्भवती महिलाओं में यह तकरीबन स्थिर है। जहां पहले आंकड़ा 46.5 प्रतिशत था, अब यह 46.4 प्रतिशत है।
आधा प्रतिशत नहीं कैंसर की स्क्रीनिंग
कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या के बावजूद, राज्य इस बीमारी की स्क्रीनिंग में पिछड़ रहा है। यहां कैंसर की स्क्रीनिंग राष्ट्रीय औसत से भी कम है। 2019-21 में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग का आंकड़ा 0.4 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय औसत 1.9 प्रतिशत है। इसी तरह महिलाओं में स्तन व मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग का आंकड़ा क्रमश: 0.2 व 0.3 प्रतिशत है।
दोनों का राष्ट्रीय औसत 0.9 प्रतिशत है। पुरुषों में मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग का आंकड़ा 0.4 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय औसत 1.2 प्रतिशत है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इस ओर जागरूक होने की जरूरत है। शुरुआती चरण में कैंसर का पता लग जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। बाद में स्थिति गंभीर हो जाती है।
शुगर भी बढ़ा रही चिंता
राज्य में शुगर की समस्या भी अब आम होती जा रही है। 14.3 प्रतिशत पुरुष उच्च रक्त शर्करा की समस्या से ग्रसित हैं और इसे नियंत्रित करने की दवा लेते हैं। इनमें शहरी क्षेत्र का आंकड़ा 16.3 व ग्रामीण क्षेत्र का 13.3 प्रतिशत है। वहीं, 10.8 प्रतिशत महिलाओं में भी उच्च रक्त शर्करा की समस्या है।