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विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने कृषकों की आय दोगुनी करने पर किया मंथन

नाबार्ड की ओर से आयोजित कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने कृषकों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया।

By Edited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 11:49 AM (IST)
विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने कृषकों की आय दोगुनी करने पर किया मंथन

देहरादून, जेएनएन। सहकारी प्रबंध संस्थान व राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से आयोजित कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने कृषकों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता विभाग को मध्यकालीन ऋण का लक्ष्य बढ़ाना चाहिए। क्योंकि सीमित लक्ष्य होने के कारण कृषकों को लाभ नहीं मिल पाता। यह भी शिकायत मिलती है कि सीमित लक्ष्य होने के कारण समितियां स्वयं या परिचितों को ऋण वितरण करती हैं। इसलिए विभाग को लक्ष्य बढ़ाने की आवश्यकता है। 

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ओल्ड राजपुर स्थित सहकारी प्रबंध संस्थान में आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, यह लक्ष्य सिर्फ कृषि के जरिए पूरा नहीं हो सकता है। इसके लिए कृषकों को कृषि के साथ ही आधारित मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन जैसे व्यवसाय से भी जुड़ना होगा। मुख्य अतिथि राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने कहा कि सहकारी समितियों को और मजबूत बनाने की जरूरत है।

क्योंकि समितियां गांव-गांव में फैली होती हैं। ऋण हो या खाद, उर्वरक वितरण, कृषि से जुड़ी योजनाओं का लाभ सहकारी समितियों के माध्यम से मिलता है। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक गिरीश मांगलिक, नाबार्ड से एसीएम श्रीवास्तव, प्रदीप चौधरी, सहाकारिता डिप्टी रजिस्ट्रार रमिंद्री मंद्रवाल व अन्य उपस्थित रहे।

नए अध्यक्ष-निदेशक के पास विजन नहीं 

वर्तमान में विभाग अनुभव की कमी से जूझ रहा है। क्योंकि प्रदेशभर में करीब 90 फीसद सहकारी समितियों में नए अध्यक्ष व निदेशक चुनकर आए हैं, जिन्हें विभाग की समझ नहीं है। इस वजह से कभी-कभी महसूस होता है कि विभाग के पास विजन की कमी है। इनके लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।

पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा नहीं 

वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा का अभाव बना हुआ है। ये कृषक वर्षा पर निर्भर रहते हैं। हमें इन क्षेत्रों में गड्ढे बनाकर प्लास्टिक के टैंक में नदियों व वर्षा के जल का संरक्षण करना चाहिए।

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