महिला शिक्षकों को नहीं मिल रहा कोरोना संक्रमण से बचाव के आदेश का लाभ
उत्तराखंड में कोरोना को लेकर सरकार के दिशा-निर्देशों को लेकर भ्रम से शिक्षक परेशान हैं। कोरोना संक्रमण बढ़ने से 58 वर्ष से अधिक आयु के कार्मिकों और गर्भवती महिला कार्मिकों को कार्यालयों में बुलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में कोरोना को लेकर सरकार के दिशा-निर्देशों को लेकर भ्रम से शिक्षक परेशान हाल हैं। कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण 58 वर्ष से अधिक आयु के कार्मिकों और गर्भवती महिला कार्मिकों को कार्यालयों में बुलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन शिक्षकों को इस दायरे में शामिल नहीं किया गया है।
दरअसल सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण से सरकारी कार्यालयों में बचाव के लिए बीती 13 जनवरी को आदेश जारी किए थे। आदेश में कहा गया कि गर्भावस्था वाली महिला कार्मिक और 58 वर्ष के गंभीर बीमारी से ग्रसित कार्मिकों से वर्क फ्राम होम के माध्यम से काम लिया जाएगा। इन्हें सिर्फ अपरिहार्य स्थिति में ही कार्यालय में बुलाया जाएगा। साथ ही दिव्यांग कार्मिकों को भी इसीतरह की छूट दी जाएगी।
हालांकि शासनादेश में यह भी कहा गया है कि शासकीय हित में आवश्यकता पड़ने पर किसी भी कार्मिक को कार्यालय में बुलाया जा सकेगा। निर्वाचन ड्यूटी पर लगे कार्मिकों पर यह आदेश लागू नहीं होगा। इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों के साथ ही सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और विभागाध्यक्षों को आदेश जारी किया गया है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग में इन निर्देशों को अमल में लाने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। इस वजह से गर्भवती महिला शिक्षिकों के साथ दिव्यांग और 58 वर्ष से अधिक आयु के शिक्षकों को राहत नहीं मिल पा रही है।
शिक्षक संगठन कर रहे हैं विभाग से मांग
शिक्षक संगठनों की ओर से विभाग से इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की जा रही है। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान का कहना है कि शासन के निर्देशों के मुताबिक शिक्षा विभाग को भी इस संबंध में आदेश निर्गत करना चाहिए।
यह भी पढ़ें:- उत्तराखंड में आज आए कोरोना 3295 मामले, एक्टिव केस पहुंचे 18 हजार के पार