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भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, सीबीआइ जांच की करी मांग

भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में दर्ज दो मुकदमों की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। अधिवक्ता एसपी सिंह के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 09:41 AM (IST)
भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, सीबीआइ जांच की करी मांग
भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

देहरादून, जेएनएन। भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में दर्ज दो मुकदमों की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। अधिवक्ता एसपी सिंह के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए पत्र में महिला ने यह भी कहा कि 13 अगस्त को विधायक की पत्नी ने थाना नेहरू कॉलोनी में उसके और उसके स्वजनों पर दबाव बनाने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज कराया। 

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महिला का आरोप है कि अदालत के आदेश पर विधायक और उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया है, लेकिन मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है। पुलिस ने अब तक न तो विधायक को गिरफ्तार किया है और न ही विधायक का मोबाइल जब्त किया है, जोकि विवेचना में अहम साक्ष्य साबित हो सकता है। वह अपनी बच्ची और विधायक का डीएनए टेस्ट कराने के लिए कई बार गुहार लगा चुकी है, लेकिन विवेचना अधिकारी की ओर से इसको लेकर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। महिला ने यह भी कहा है कि 15 सितंबर को उसने गृह सचिव को पत्र भेजकर मुकदमों की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की थी, लेकिन शासन स्तर से भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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एसपी क्राइम को भी लिखा पत्र

महिला ने एसपी क्राइम को पत्र लिखकर विवेचना अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। महिला का आरोप है कि बीती 30 सितंबर को विवेचना अधिकारी ने उन्हें विधायक हॉस्टल में मुआयना करने के दौरान बुलाया। घटनास्थल का मुआयना करते समय वहां तीन अन्य लोग भी मौजूद थे। इनमें से एक व्यक्ति घटनास्थल की वीडियोग्राफी मोबाइल से कर रहा था। महिला का कहना है कि जो व्यक्ति उनके साथ गया था, उसे पुलिस ने नीचे ही रुकने को कह दिया। विवेचना अधिकारी को वीडियोग्राफी बंद करने के लिए कहा गया, मगर उन्होंने बात को अनसुना कर दिया। जब विवेचना अधिकारी से हॉस्टल में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज लेने का आग्रह किया तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि तीन माह की फुटेज ही उपलब्ध रहती हैं। महिला का आरोप है कि विवेचना अधिकारी ने 26 सितंबर को मसूरी के होटल में भी रजिस्टर का मुआयना गंभीरता से नहीं किया। 

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