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Coronavirus: उत्तराखंड में स्वास्थ्य कर्मियों से बदसलूकी करने पर होगी तीन महीने की सजा

उत्तराखंड शासन ने कोरोना के मद्देनजर प्रदेश में उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 संशोधन विनियमावली जारी कर दी है। यदि स्वास्थ्य कर्मी से अभद्रता होती है तो तीन माह की सजा होगी।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 09:33 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में स्वास्थ्य कर्मियों से बदसलूकी करने पर होगी तीन महीने की सजा
Coronavirus: उत्तराखंड में स्वास्थ्य कर्मियों से बदसलूकी करने पर होगी तीन महीने की सजा

देहरादून,  राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड शासन ने कोरोना के मद्देनजर प्रदेश में उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 संशोधन विनियमावली जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि महामारी के दौरान सेवारत स्वास्थ कर्मी के विरुद्ध हिंसात्मक कार्रवाई अथवा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो आरोपित को तीन माह से पांच वर्ष तक की सजा और 50 हजार रुपये से लेकर दो लाख तक तक का जुर्माना भरना होगा। स्वास्थ्य कर्मी से हिंसा गैरजमानती अपराध होगा। इस पर एफआइआर दर्ज होने के 30 दिन के भीतर जांच पूरी करने का प्रविधान किया गया है। 

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राज्यपाल के अनुमोदन के बाद शासन ने महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश जारी करने के साथ ही इसकी संशोधित विनियमावली भी जारी कर दी है। प्रभारी सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय द्वारा जारी की गई विनियमावली में स्पष्ट किया गया है कि महामारी के दौरान सेवारत स्वास्थ्य कर्मी के विरुद्ध हिंसात्मक कार्य, सरकारी संपत्ति की क्षति अथवा नुकसान भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा। 

इस पर केंद्र सरकार द्वारा जारी महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। केंद्र के अध्यादेश में स्वास्थ्य कर्मियों से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कड़ी कार्रवाई का प्रविधान है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि स्वास्थ्य कर्मी को गंभीर रूप से घायल किया जाता है तो सजा छह माह से सात साल और जुर्माना एक लाख से पांच लाख रुपये तक लगाया जा सकता है।

इसके अलावा अदालत द्वारा तय मुआवजे को भी आरोपित द्वारा पीडि़त को देना होगा। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में मुआवजा क्षतिग्रस्त सरकारी संपत्ति से दोगुना वसूला जाएगा। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा जारी संशोधित विनियमावली में मास्क न पहनने और थूकने पर सक्षम अधिकारी को आरोपित को दंडित करने की कार्रवाई करने का प्रविधान किया गया है। 

पुलिस के सब इंस्पेक्टर और राजस्व निरीक्षक तक के अधिकारियों को जुर्माना वसूलने का अधिकार दिया गया है। पुरानी विनियमावली में दंड का नहीं बल्कि ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने का प्रविधान था। नई विनियमावली में मौके पर ही जुर्माना वसूलने का प्रविधान किया गया है। अध्यादेश में संशोधन कर इसे लागू करने वाला उत्तराखंड देश का तीसरा राज्य बन गया है। इससे पहले केरल व उड़ीसा में संशोधित अध्यादेश लागू हो चुका है।

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मास्क न पहनने और थूकने पर जुर्माना 

अध्यादेश में सार्वजनिक स्थानों पर  मास्क न पहनने पर पहली और दूसरी बार 100-100 रुपये और इसके बाद हर बार 200 सौ रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है। इसी प्रकार थूकने पर पहली बार 100 रुपये, दूसरी बार 200 रुपये और फिर हर बार 500 रुपये दंड का प्रविधान किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि यह जुर्माना नहीं दिया जाता अथवा इसमें आनाकानी की जाती है तो आरोपित को पांच रुपये का जुर्माना अथवा छह माह का कारावास अथवा दोनों ही दंड भुगतने पड़ सकते हैं।

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