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उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में फिर खुलेंगे वन्यजीव अंचल

अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राज्य में भी वन्यजीव अंचल व्यवस्था फिर से शुरू करने पर मंथन चल रहा है। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार इस मसले पर जल्द निर्णय ले लिया जाएगा।

By Edited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 08:56 PM (IST)
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में फिर खुलेंगे वन्यजीव अंचल
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में फिर खुलेंगे वन्यजीव अंचल

देहरादून, [केदार दत्त]: छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व वाले उत्तराखंड में वन्यजीव सुरक्षा एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। इसे देखते हुए वन्यजीव अपराधों की विवेचना के साथ ही खुफिया तंत्र विकसित करने के लिए अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राज्य में भी वन्यजीव अंचल व्यवस्था फिर से शुरू करने पर मंथन चल रहा है। उत्तराखंड बनने के बाद विभाग में यह व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार वन्यजीव अंचल के मसले पर जल्द निर्णय ले लिया जाएगा।

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यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड के वन्यजीव, शिकारियों व तस्करों के निशाने पर हैं। खासकर कुख्यात बावरिया गिरोहों ने नाक में दम किया हुआ है, जिनका संजाल राज्य से लेकर सीमापार तक फैला है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इसे देखते हुए अब फिर से वन्यजीव अंचल व्यवस्था की ओर से राज्य सरकार का ध्यान गया है।

दरअसल, अविभाजित उत्तर प्रदेश में यहां भी अंचल व्यवस्था अस्तित्व में थी। तब उत्तराखंड क्षेत्र में कोटद्वार और रामनगर दो वन्यजीव अंचल कार्यरत थे। कोटद्वार अंचल का कार्यक्षेत्र गढ़वाल मंडल और रामनगर का कुमाऊं मंडल था। प्रत्येक अंचल में एक सहायक वन संरक्षक की अगुआई में पांच सदस्यीय टीम हुआ करती थी। इसका कार्य वन्यजीव अपराधों की जांच-पड़ताल, अपराधियों की धरपकड़ के साथ ही खुफिया जानकारी जुटाना था।

इससे वन महकमे को काफी राहत मिलती थी। उत्तराखंड बनने के बाद वन्यजीव अंचल व्यवस्था को खत्म कर दिया गया, जबकि उप्र में यह अभी भी जारी है। उत्तराखंड में सभी डीएफओ को डिप्टी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का दायित्व भी सौंप दिया गया। इस बीच वन्यजीव अपराधों की बाढ़ आई तो अंचल व्यवस्था को लेकर फिर से कवायद हुई। तीन साल पहले वन विभाग की ओर से प्रदेश में चार वन्यजीव अंचल का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। इसमें दो गढ़वाल और दो कुमाऊं मंडल में खोलना प्रस्तावित किया गया। बाद में यह प्रस्ताव शासन में फाइलों में गुम होकर रह गया।

अब बदली परिस्थितियों में अंचल व्यवस्था को लेकर सरकार सक्रिय हुई है। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने माना कि वन्यजीव अंचल होने से वन्यजीव सुरक्षा में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि उप्र की तर्ज पर वन्यजीव अंचल व्यवस्था को फिर से बहाल करने के मद्देनजर वन विभाग से प्रस्ताव मांगा गया है। सरकार के स्तर पर भी मंथन चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल्द ही वन्यजीव अंचल अस्तित्व में आएंगे।

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