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इंतजार कब तक: क्यों नौ साल में भी नहीं हो पाया हरिद्वार बाईपास का चौड़ीकरण, कहां आ रही है दिक्कत

देहरादून की महज 3.5 किलोमीटर लंबी हरिद्वार बाईपास रोड का चौड़ीकरण आज तक पूरा नहीं हो पाया है। यह अवधि इतनी बड़ी है कि दो- दो सरकार और दो विधायकों का कार्यकाल जनता देख चुकी है और सड़क का सवाल हल होना अभी बाकी है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 01:37 PM (IST)
इंतजार कब तक: क्यों नौ साल में भी नहीं हो पाया हरिद्वार बाईपास का चौड़ीकरण, कहां आ रही है दिक्कत
इंतजार कब तक: क्यों नौ साल में भी नहीं हो पाया हरिद्वार बाईपास का चौड़ीकरण।

जागरण संवाददाता, देहरादून। शिलान्यास हो या लोकार्पण, हमारे जनप्रतिनिधि इसका श्रेय लेने में पीछे नहीं रहते। मगर, जब सवाल योजनाओं को समय पर पूरा कराने का हो तो हमारे माननीयों के पास समय नहीं रहता। यही वजह है कि देहरादून की महज 3.5 किलोमीटर लंबी हरिद्वार बाईपास रोड का चौड़ीकरण आज तक पूरा नहीं हो पाया है। यह अवधि इतनी बड़ी है कि दो- दो सरकार और दो विधायकों का कार्यकाल जनता देख चुकी है और सड़क का सवाल हल होना अभी बाकी है।

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हरिद्वार बाईपास रोड का चौड़ीकरण सितंबर 2012 में शुरू किया गया था। उस समय कांग्रेस की सरकार थी और क्षेत्रीय विधायक थे दिनेश अग्रवाल। सड़क का चौड़ीकरण डेढ़ साल के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन ठेकेदार अमृत डेवलपर्स ने कुछ ही माह में काम की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। अंतत: ठेकेदार से काम छीनना पड़ गया। इसके विरोध में ठेकेदार ने कोर्ट में वाद दायर कर दिया और मामला खटाई में पड़ गया।

इसके बाद वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनी और क्षेत्र के विधायक बने विनोद चमोली। वर्तमान विधायक के कार्यकाल के चार साल बाद वर्ष 2021 के आरंभ में चौड़ीकरण की कवायद दोबारा शुरू की जा सकी। इस दफा नए ठेकेदार राकेश कंस्ट्रक्शन कंपनी फर्जी बैंक गारंटी मामले में फंस गई और दोबारा से काम पर ब्रेक लग गया। अब भले ही नए सिरे से टेंडर आमंत्रित किए गए हैं, मगर ठेकेदार का चयन चुनाव बाद ही किया जा सकेगा। फिर चौड़ीकरण कब शुरू होगा और काम कब पूरा होगा, कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे में जनता दो सरकार व दो विधायकों से सवाल करते थक चुकी है कि उन्हें चौड़ी सड़क के लिए आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा।

बाईपास रोड परियोजना पर एक नजर

पहले टेंडर का हाल

कार्य शुरू, सितंबर 2012

स्वीकृति/इस्टीमेट, करीब साढ़े 13 करोड़ रुपये

ठेकेदार ने काम लिया, बाजार दर से 17 फीसद कम पर 11.81 करोड़ रुपये में

समाप्ति लक्ष्य, डेढ़ साल के भीतर

धनराशि खर्च, 2.41 करोड़ रुपये

नतीजा, ठेकेदार से काम छीन लिया गया

प्रगति, काम छीने जाने तक महज 15 फीसद काम पूरा

दूसरे टेंडर का हाल

काम शुरू, मई/जून 2021

स्वीकृति/इस्टीमेट, करीब 33 करोड़ रुपये

ठेकेदार ने काम लिया, करीब 25 फीसद कम दर पर 25.90 करोड़ रुपये में

कार्य समाप्ति लक्ष्य था, मार्च 2023 तक

धनराशि खर्च, विभाग के स्तर पर शून्य

नतीजा, ठेकेदार ने फर्जी बैंक गारंटी लगाई और काम छीन लिया गया

प्रगति, करीब 18 फीसद काम पूरा और नए टेंडर आमंत्रित

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