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बगावत थामी तो जीत का मार्ग हुआ प्रशस्त

भाजपा द्वारा नामांकन से ऐन पहले प्रदेश मंत्री बलवीर सिंह घुनियाल और गुड्डू लाल को मनाने में मिली सफलता पार्टी की जीत की ओर पहला कदम बनी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 04:56 PM (IST)
बगावत थामी तो जीत का मार्ग हुआ प्रशस्त
बगावत थामी तो जीत का मार्ग हुआ प्रशस्त

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: थराली विधानसभा उपचुनाव में टिकट की दावेदारी को लेकर उभरी बगावत को थामना भाजपा की जीत का एक बड़ा कारक बन कर सामने आया है। भाजपा द्वारा नामांकन से ऐन पहले प्रदेश मंत्री बलवीर सिंह घुनियाल और गुड्डू लाल को मनाने में मिली सफलता पार्टी की जीत की ओर पहला कदम बनी। उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की महज 1981 वोट से मिली जीत इसकी पुष्टि करती भी नजर आ रही है।

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थराली उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था तो सरकार की पहली अहम परीक्षा भी। चुनाव से पहले प्रत्याशी का चयन भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। चुनाव से महज कुछ दिनों पहले भाजपा ने बीते विधानसभा चुनावों में पांच हजार से अधिक मत पाने वाले निर्दलीय गुड्डू लाल को पार्टी में शामिल कराने में सफलता हासिल की थी।

हालांकि, दिवंगत विधायक मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी को टिकट देने के बाद गुड्डू लाल ने बगावती तेवर अपनाते हुए भाजपा पर जबरन पार्टी में शामिल करने का आरोप लगाया और चुनाव लडऩे की घोषणा तक कर डाली थी। वहीं टिकट न मिलने से नाराज भाजपा के प्रदेश महामंत्री बलवीर सिंह घुनियाल ने भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर डाला। पार्टी को इसकी उम्मीद नहीं थी, ऐसे में तुरंत डैमेज कंट्रोल की रणनीति अपनाई गई। नामांकन से ऐन पहले नाटकीय रूप से भाजपा ने दोनों ही नेताओं को मनाने में सफलता हासिल कर ली। बलवीर सिंह घुनियाल का नामांकन से पहले स्वास्थ्य खराब हो गया था।

वहीं, गुड्डू लाल को किसी तरह मना कर भाजपा अपने साथ ले आई। इतना ही नहीं, पार्टी ने इन दोनों नेताओं को पार्टी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में भी शामिल किया। इसका फायदा भाजपा को मिला और इनके समर्थकों ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यदि ये दोनों मैदान में होते तो चुनाव का नतीजा कुछ और भी हो सकता था।  

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