Move to Jagran APP

पहाड़ों की रानी की गोद में पलेगी कश्मीर की मिल्कियत, पढ़िए पूरी खबर

पहाड़ों की रानी मसूरी की गोद में अब जम्मू-कश्मीर की मिल्कियत न सिर्फ पलेगी बल्कि फूलेगी-फलेगी भी। चौंकिये नहीं हम बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के कागजी अखरोट की जिसकी पौध मसूरी वज

By Edited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 07:59 PM (IST)
पहाड़ों की रानी की गोद में पलेगी कश्मीर की मिल्कियत, पढ़िए पूरी खबर
पहाड़ों की रानी की गोद में पलेगी कश्मीर की मिल्कियत, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, केदार दत्त। पहाड़ों की रानी मसूरी की गोद में अब जम्मू-कश्मीर की मिल्कियत न सिर्फ पलेगी, बल्कि फूलेगी-फलेगी भी। चौंकिये नहीं, हम बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के कागजी अखरोट की, जिसकी पौध मसूरी वन प्रभाग के मगरा स्थित नर्सरी में तैयार हो रही है। तीन साल में ही फल देने वाली अखरोट की इस किस्म के पौधों का दो साल बाद स्थानीय ग्रामीणों को वितरण होने लगेगा। हालांकि, अभी तक जम्मू-कश्मीर से लाए गए अखरोट के करीब एक हजार पौधे लोगों को बांटे जा चुके हैं, लेकिन यह काफी खर्चीला है। ऐसे में मगरा नर्सरी अखरोट को बढ़ावा देने में अहम भागीदारी निभाएगी।

loksabha election banner

राज्य सरकार ने अखरोट को यहां की आर्थिकी से जोड़ने का निश्चय किया है और इसके तहत कागजी अखरोट जैसी उच्च गुणवत्ता वाली किस्म को बढ़ावा दिया जाना है। हालांकि, उच्च गुणवत्ता के अखरोट की पौध न मिलने से दिक्कतें आई तो इसका तोड़ भी ढूंढ लिया गया। असल में अखरोट की ये किस्में देश के अखरोट उत्पादन में 90 फीसद भागीदारी निभाने वाले जम्मू-कश्मीर में ही पाई जाती हैं। इसमें वहां स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ टेंपरेट हॉर्टिकल्चर (सीआइटीएच) की सबसे अहम भूमिका है।

उत्तराखंड में जापान कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) से वित्त पोषित अखरोट परियोजना को आकार देने के लिए सीआइटीएच से अखरोट के पौधों की मांग की गई, मगर उस पर इतना दबाव है कि यह पूरी नहीं हो पाई। इसका भी रास्ता निकाला गया और सीआइटीएच से पौध लाकर मातृ वृक्ष ब्लाक (मदर ब्लॉक आर्चर्ड) तैयार करने का निश्चय किया। इस कड़ी में मसूरी वन प्रभाग को भी जिम्मा सौंपा गया और प्रभाग की जौनपुर रेंज के मगरा में मातृवृक्ष ब्लाक तैयार करने की जिम्मेदारी रेंज अधिकारी मनमोहन बिष्ट को सौंपी गई।

रेंज अधिकारी बिष्ट बताते हैं कि मगरा में पिछले साल अखरोट मातृवृक्ष ब्लाक तैयार किया गया। इस ब्लाक से ही ग्राफ्ट कर हाईटेक पौधाशाला में पौध उत्पादन भी शुरू किया गया है। इससे क्षेत्र के लोगों को आसानी से अखरोट की इस उच्च गुणवत्ता वाली किस्म के पौधे मिल सकेंगे, ताकि क्षेत्र को अखरोट प्रक्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके। बिष्ट के मुताबिक इस संबंध में ग्रामीणों को तकनीकी सहयोग देने के लिए रणनीति तैयार हो रही है। कोशिश रंग लाई तो निकट भविष्य में इस क्षेत्र में भी अखरोट यहां की आर्थिकी संवारने का मुख्य जरिया बन सकेगा।

बोले अधिकारी

कहकशां नसीम (प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी) का कहना है कि पिछले साल सीआइटीएच से करीब एक हजार पौधे लाकर मगरा और रायपुर क्षेत्र में किसानों को बांटे गए, मगर पौधों की मांग अधिक है। ऐसे में कागजी अखरोट के पौधे यहीं तैयार करने का निर्णय लिया गया। दो साल बाद मगरा नर्सरी से लोगों को पौधे मिलने लगेंगे। इससे मसूरी क्षेत्र भी अखरोट बेल्ट के रूप में विकसित होगा, साथ ही किसानों की आय दोगुना करने में भी मदद मिलेगी।

यह भी पढ़ें: गंगा में खनन पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का पेच, पढ़िए पूरी खबर

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में गंगा किनारे की 42 ग्राम पंचायतों में होगी जैविक कृषि, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.