सात साल, चार संशोधन; लोकायुक्त का इंतजार
नया लोकायुक्त विधानसभा की संपत्ति के रूप में बंद है। यह कानून के रूप में जनता की संपत्ति कब बनेगा, फिलहाल इसके लिए महीनों का इंतजार करना पड़ सकता है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सात साल की अवधि में चार दफा संशोधन के बाद अब नया लोकायुक्त विधानसभा की संपत्ति के रूप में बंद है। यह कानून के रूप में जनता की संपत्ति कब बनेगा, फिलहाल इसके लिए महीनों या न्यूनतम अगले विधानसभा सत्र तक इंतजार करना पड़ सकता है।
प्रवर समिति के संशोधनों को स्वीकार करने के बाद नया लोकायुक्त विधेयक अब विधानसभा की संपत्ति है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भले ही पिछली खंडूड़ी सरकार के लोकायुक्त कानून को सौ दिन में अमल में लाने की बात कही हो, लेकिन नया लोकायुक्त विधेयक कुछ अलग है। खंडूड़ी के लोकायुक्त कानून में जहां लोकसेवकों को भ्रष्टाचार के मामले में कठोर कारावास का दंड देने व अत्यंत विशेष मामलों में आजीवन कारावास का प्रावधान भी रखा गया था। नए विधेयक से यह प्रावधान तो बाहर है ही, चयन समिति में भी मौजूदा लोकायुक्त कानून की व्यवस्था को माना गया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम, 2014 अस्तित्व में आया। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने उक्त कानून में फिर संशोधन किया। लोकायुक्त (संशोधन) अधिनियम, 2014 में 180 दिन में लोकायुक्त के गठन के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। नतीजा ये हुआ कि सरकार लोकायुक्त की नियत अवधि में नियुक्ति करने की बाध्यता से मुक्त हो गई। इसके बाद लोकायुक्त के गठन की कवायद विधानसभा चुनाव से ऐन पहले की गई थी। अब प्रवर समिति के संशोधन के बाद नए विधेयक के आधार पर लोकायुक्त एक्ट बना तो राज्यपाल के लिए चयन समिति को बार-बार लौटाना मुमकिन नहीं होगा। राज्यपाल एक बार चयन समिति की संस्तुति को पुनर्विचार के लिए परामर्श दे सकेंगे, लेकिन पुनर्विचार के बाद दोबारा की गई संस्तुति राज्यपाल को स्वीकार करनी होगी।
जांच प्रकोष्ठ
लोकायुक्त भ्रष्टाचार की शिकायत की प्रारंभिक जांच के लिए एक जांच प्रकोष्ठ गठित करेगा। इसका अध्यक्ष जांच निदेशक होगा।
अभियोजन प्रकोष्ठ
लोकायुक्त किसी शिकायत के संबंध में लोक सेवकों का अभियोजन करने के लिए अधिसूचना के जरिए एक अभियोजन प्रकोष्ठ गठित करेगा।
न्यायपीठ
लोकायुक्त की अधिकारिता का प्रयोग उसकी न्यायपीठों द्वारा किया जाएगा। न्यायपीठ अध्यक्ष की ओर से दो या अधिक सदस्यों के साथ गठित की जा सकेगी। प्रत्येक न्यायपीठ में न्यूनतम एक न्यायिक सदस्य होगा।लोकायुक्त की शक्तियां
लोकायुक्त सरकारी अधिवक्ताओं से भिन्न अधिवक्ताओं के एक पैनल की नियुक्ति कर सकेगा। वह जरूरत पड़ने पर दस्तावेजों की तलाशी लेने और उनका अभिग्रहण करने के निर्देश देगा। लोकायुक्त को सिविल न्यायालय की शक्तियां होंगी और वह किसी व्यक्ति को समन, हाजिर कराना और उसकी शपथ पर परीक्षा करा सकेगा। लोकायुक्त के समक्ष कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी। लोकायुक्त के पास संपत्ति कुर्क करने का अधिकार भी रहेगा। लोकायुक्त को भ्रष्टाचार के मामले में संबंधित लोक सेवक को स्थानांतरित करने या निलंबित करने या अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति का अधिकार होगा।
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