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उत्तराखंड में PCS अधिकारियों की पदोन्नति को अभी इंतजार, जानिए वजह

पीसीएस अधिकारियों की वरिष्ठता सूची अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाई है। शासन में इस समय वरिष्ठता को लेकर मांगी गई आपत्तियों का अध्ययन चल रहा है। इसके बाद अंतिम निर्णय लेने के लिए फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 03:36 PM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 03:36 PM (IST)
उत्तराखंड में PCS अधिकारियों की पदोन्नति को अभी इंतजार, जानिए वजह
उत्तराखंड में PCS अधिकारियों की पदोन्नति को अभी इंतजार, जानिए वजह।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पीसीएस अधिकारियों की वरिष्ठता सूची अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाई है। शासन में इस समय वरिष्ठता को लेकर मांगी गई आपत्तियों का अध्ययन चल रहा है। इसके बाद अंतिम निर्णय लेने के लिए फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी। ऐसे में वरिष्ठता सूची जारी करने में अभी और समय लगने की संभावना है। इसके बाद ही इनके आइएएस बनने का रास्ता साफ होगा। 

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प्रदेश में वर्ष 2010 से ही सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस के बीच वरिष्ठता का विवाद चल रहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश से अलग होकर वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड का गठन हुआ, उस समय प्रदेश में पीसीएस अधिकारियों की संख्या खासी कम थी। इसे देखते हुए शासन ने तहसीलदार व कार्यवाहक तहसीलदारों को तदर्थ पदोन्नति देकर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) बना दिया था। यह सिलसिला वर्ष 2003 से 2005 तक चला। इसी दौरान वर्ष 2005 में सीधी भर्ती से 20 पीसीएस अधिकारियों का चयन हुआ। विवाद की स्थिति तब पैदा हुई, जब उत्तराखंड शासन ने अधिकारियों की पदोन्नति के लिए वर्ष 2010 में एक फार्मूला तैयार किया। 

इसके तहत वरिष्ठता सूची में एक अधिकारी सीधी भर्ती तो एक अधिकारी पदोन्नत अधिकारी में से लिया गया। इस पर पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों ने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। इसी वर्ष फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सीधी भर्ती वालों के पक्ष में फैसला दिया। इस बीच सीधी भर्ती के पांच अधिकारियों को लेकर अपनी आपत्ति जताई। उनका कहना था 13 रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती हुई थी लेकिन इसमें 18 अधिकारी भर्ती किए गए। 

ऐसे में वरिष्ठता पांच अधिकारियों को वरिष्ठता क्रम में उनसे नीचे रखा जाए। इस पर शासन ने वरिष्ठता सूची जारी करते हुए आपत्तियां आमंत्रित की। सूत्रों की मानें तो सीधी भर्ती के पांच पीसीएस अधिकारियों ने इसमें अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि उनकी भर्ती जरूरत के मुताबिक शासन ने की थी। ऐसे में उन्हें भी वरिष्ठता क्रम में शेष सीधी भर्ती वालों के समान पदोन्नत पीसीएस के उपर रखा जाए। शासन में अभी इस मामले में अध्ययन चल रहा है।

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