मजिस्ट्रेटी बयान देने से कन्नी काट रही पीड़िता, ये है पूरा मामला
भाजपा के पूर्व महामंत्री संगठन संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देने से कन्नी काट रही है।
देहरादून, जेएनएन। भाजपा के पूर्व महामंत्री संगठन संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती अब मजिस्ट्रेट के सामने बयान देने से कन्नी काट रही है। हालांकि, इससे मुकदमे की विवेचना पर कोई तकनीकी असर नहीं पड़ेगा। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया मामले की जांच शुरू कर दी गई है। अब तक सामने आए तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
करीब डेढ़ महीने पहले युवती ने भाजपा के पूर्व महामंत्री संगठन संजय कुमार पर फोन पर अश्लील बात करने और शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद आनन-फानन संजय कुमार को पद से हटा दिया गया था। युवती की ओर से इस मामले में एसएसपी निवेदिता कुकरेती को ई-मेल के जरिये तहरीर भेजी गई थी।
एसएसपी ने एसपी ग्रामीण मामले की जांच सौंपी थी। उन्होंने पीड़िता से संपर्क कर उसे बयान के बुलाया, लेकिन हर बार पीड़िता ने असमर्थता जताई। पिछले सप्ताह पीड़िता ने तत्कालीन एसपी ग्रामीण सरिता के समक्ष बयान दर्ज कराए। इसके बाद नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। विवेचना महिला हेल्पलाइन प्रभारी ज्योति चौहान को दी गई।
विवेचक ज्योति चौहान ने दो दिन में युवती के बयान दर्ज किए। इसके बाद उसका बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाने थे, लेकिन वह मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देने से कन्नी काट कर रही है।
इसलिए जरूरी होता है मजिस्ट्रेटी बयान
आपराधिक मामलों में पीडि़त का पहले पुलिस आइपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करती है। इसमें दिक्कत यह होती है अक्सर पीड़ित यह आरोप लगा देते हैं कि पुलिस ने जो बयान उन्होंने दिया, उसे लिखा ही नहीं। ऐसे में पुलिस मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराती है, ताकि पीड़ित बयान से मुकर न कर सके। हालांकि, मजिस्ट्रेटी बयान देने के लिए किसी को विवश नहीं किया जा सकता, यह उसकी इच्छा पर भी निर्भर करता है।
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