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उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ने किया आइएफएस अधिकारियों को सम्मानित

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का आज देहरादून पहुंच गए। वह यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 07:42 AM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 05:21 PM (IST)
उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ने किया आइएफएस अधिकारियों को सम्मानित
उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ने किया आइएफएस अधिकारियों को सम्मानित

देहरादून, [जेएनएन]: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में आइएफएस अधिकारियों को सम्मानित किया। उपराष्ट्रपति के दौरे को लेकर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर रखी है। 

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उपराष्ट्रपति सुबह करीब आठ बजे दिल्ली से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचें। इस दौरान राज्यपाल केके पॉल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पुष्प भेंट कर उनका स्वागत किया। तत्पश्चात वह कार से राजभवन के लिए रवाना हुए।

राजभवन में उपराष्ट्रपति ने तेज पत्ता की पौध का रोपण भी किया। कुछ देर राजभवन में रुकने के बाद सड़क मार्ग से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में भाग लेने पहुंचे।

समारोह में नायडू आइएफएस अधिकारियों को सम्मानित किया। व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम 2016-18 में कुल 53 अधिकारी  पासआउट हुए। इनमें 51 भारत और 02 मित्र देशों के अधिकारी शामिल हैं। प्रशिक्षण पाठयक्रम के 18 अधिकारियों ने 75 फीसद से ज़्यादा अंक प्राप्त किए हैं। 

इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो राज्य वनों के संरक्षण और संवर्धन में अच्छा काम कर रहे है उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए।उन्हें इन्सेंटिव दिया जाना चाहिए। वनों को बचाए रखने के लिए स्थानीय लोगों को, पंचायतों तथा स्थानीय निकायों को इन्सेंटिव दिया जाए। साथ ही उनको ऑपरेशनल राइट्स दिए जाएं। इससे राज्यों के लोगों को ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें वनों को बचाना जरूरी है। प्रशिक्षु अधिकारियों को कर्तव्य निष्ठा और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा की हर राष्ट्रीय कार्यक्रम को जनांदोलन का रूप देना जरूरी है। 

उन्होंने कहा कि समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उत्थान पहले होना चाहिए। सतत वैज्ञानिक उपायों से एकीकृत ईकोसिस्टम को बनाए रखना और उसको मजबूत बनाना जरूरी है। वन सेवा एक चुनौती पूर्ण कार्य है। वन सम्पदा को बचाने में कई फारेस्ट अधिकारियों ने प्राणो का बलिदान तक दिया है। वनअधिकारियों को वनों में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें सहायता दें, प्रशिक्षित करें और उनके सर्वांगीं विकास में सहायक हों। 

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल केके पॉल ने कहा कि उत्तराखंड में चिपको आंदोलन के माध्यम से वनो के संरक्षण की मुहिम छेड़ी गई। वन संरक्षण को लेकर हिमलायी राज्य लगातार काम कर रहे हैं। नए अधिकारियों पर इसके लिए अब ज्यादा जिम्मेदारी है। उन्हें वन संरक्षण की दिशा में आम जनता के साथ मिलकर काम करना होगा। 

मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह में उपाधि पाने वालों को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन उनकी तपस्या, मेहनत और लगन के फल प्राप्ति का दिन है । यह दिन आईएफएस अधिकारियों को नई जिम्मदारियों से जोड़ने वाला दिन है। वनों का महत्व हमारे लिए दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का 71 प्रतिशत भू भाग वन क्षेत्र है। उत्तराखंड चिपको आन्दोलन की भूमि है। 

मुख्यमंत्री ने दीक्षांत में पासआउट अधिकारियों से नई तकनीकी और शोध को बढ़ावा देने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि वन सम्पदा हमारे जीवन का आधार है। वनों और मानव जीवन की मूल आवश्यकता में सामंजस्य बनाना एक बड़ी चुनौती है। वनों का अधिक से अधिक लाभ भी हो और उनपर कोई संकट न आए, ये देखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

तेजपत्ता पौधे का किया रोपण 

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने राजभवन परिसर में तेजपत्ता पौधे का रोपण किया। राजभवन, देहरादून आने पर राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने उपराष्ट्रपति को पुष्पगुच्छ व अंगवस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया। राज्यपाल ने उपराष्ट्रपति को केदारनाथ धाम की प्रतिकृति भी भेंट की। इस अवसर पर विधानसभाध्यक्ष श्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक, श्रीमती माला राजलक्ष्मी शाह, उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री श्री प्रकाश पंत, विधायक श्री गणेश जोशी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति जौलीग्रांट एयरपोर्ट से दिल्ली को रवाना हो गए।  

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